प्राकृतिक और पर्यावरण से जुड़ने का माध्यम हरेला पर्व-डॉ संध्या

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नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन एवं प्रेम हॉस्पिटल के सयुंक्त तत्वावधान में आज पर्यावरण संरक्षण, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक हरेला पर्व पर ज्वालापुर में गंगा किनारे मानव वाल्मीकि घाट पर चिकित्सको ने तुलसी,गिलोय और एलोवेरा व्रक्षो पौधारोपण किया।
उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला पर मानव वाल्मीकि घाट पर पौधा रोपण करने के उपरांत वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ संध्या शर्मा ने कहा श्रावण मास से पूर्व मनाये जाने वाला लोकपर्व हरेला सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्त्व रखता है।हरेला प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ने का माध्यम है। डॉ संध्या ने कहा पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए पर्यावरण सरंक्षण जरूरी है। वनों और पेड़ो का दोहन हरेला पर कुठाराघात है ।
वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ ए के जैन कहा कि श्रावण मास शुरू होने से नौ दिन पूर्व मनाया जाने वाला हरेला पर्व को मौसम की लिहाज से पौधा रोपण के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऋग्वेद में कृषि कर्णत्व अर्थात खेती करो के तहत इसका उल्लेख है।इस त्योहार को मनाने से कल्याण की भावना विकसित होती है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बी के एंडले ने कहा पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों को संस्कारित नही कहा जा सकता,आज हरेला पर्व पर प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक नही होगा तब तक हरेला की कल्पना साकार नही हो सकती।