“NUJ(I)की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की (चंडीगढ़) बैठक-2021”

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नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट( इंडिया )की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित प्रस्ताव

प्रस्ताव -1

पत्रकार सुरक्षा और पत्रकारों को प्रताड़ित करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता

लोकतंत्र में पत्रकारिता का विशेष महत्व है इसीलिए संवैधानिक मान्यता के बिना भी, पत्रकारिता को समाज के चौथे स्तंभ के रूप में स्वीकार किया गया है। समाचार संकलन और उनका प्रकाशन, व्यवस्था और जनता के बीच में सेतु का कार्य करता है। यदि पुराने राजनेताओं को इस संदर्भ में याद करते हैं तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और कवि हृदय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने अनेकों अवसरों में पत्रकारिता के लोकतंत्र में महत्व को प्रतिपादित किया है। इसलिए भी यह संदर्भ स्वतः महत्वपूर्ण हो जाता है।

हाल में महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की प्रताड़ना और समाचार संकलन में बाधा की कई घटनाएं सामने आई है। समाचार संकलन से रोकना तो पूरे देश की प्रवृत्ति बनता जा रहा है। लेकिन समाचार प्रकाशन के बाद पत्रकारों की हत्या, उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण और उनको परेशान करने जैसे घटनाक्रम लोकतंत्र में शर्मनाक है। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) भारत सरकार से मांग करता है कि पत्रकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए। पत्रकारों पर दर्ज होने वाले प्रकरणों की पहले जिलाधिकारी जैसे प्रमुख अधिकारियों द्वारा विवेचना की जाना चाहिए। उसमें यदि कोई तथ्य सामने आता है तभी कोई प्रकरण दर्ज होना चाहिए। देश में माफिया प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है ऐसे में पुलिस प्रशासन को एक एडवाइजरी जारी की जाना चाहिए जिसमें प्रत्येक पत्रकार के साथ अच्छा व्यवहार किए जाने की सीख हो।

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) कि कार्यसमिति की यह बैठक पदाधिकारियों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इस प्रस्ताव के साथ पत्र भेजने का भी निर्देश देती है, ताकि पत्रकार प्रताड़ना से मुक्त होकर लोकतंत्र को संरक्षित करने के लिए अपने दायित्वों का समुचित निर्वहन कर सके।

प्रस्ताव -2

पत्रकार को भी आयुष्मान योजना में शामिल किया जाए

पत्रकार लोकतंत्र का सजग प्रहरी है। समाचार संकलन के लिए उसे हर दिन विभिन्न क्षेत्रों में घूमना पड़ता है। मानसिक रूप से पूरे दिन उसे सजग रहना पड़ता है, ऐसे में पत्रकार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझता रहता है। यह कहना भी सामयिक होगा कि वेजबोर्ड द्वारा निर्धारित वेतनमान की परिधि में पत्रकारों का एक छोटा वर्ग ही आता है। ऐसी स्थिति में आर्थिक पक्ष पत्रकार की सबसे बड़ी समस्या है। इसे ध्यान में रखते हुए पहले कुछ राज्य सरकारें अधिमान्य पत्रकारों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती थी। लेकिन समय साथ इसमें कटौती होती रही और सुविधाएं लुप्त होती चली गई।
अब भारत सरकार ने आयुष्मान योजना के रूप में स्वास्थ्य के संबंध में एक महत्वपूर्ण योजना प्रस्तुत की है। गरीब और सामान्य लोगों को यह योजना स्वस्थ्य सुरक्षा गारंटी उपलब्ध करा रही है। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की राष्ट्रीय कार्यसमिति केंद्र सरकार से मांग करती है कि देशभर के पत्रकारों को आयुष्मान योजना में शामिल करने का आदेश जारी करें। इससे पत्रकारों के स्वास्थ्य सुविधा के साथ-साथ लोकतंत्र के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ेगा।

प्रस्ताव -3

टोल मुक्त हों पत्रकारों के वाहन

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की इस राष्ट्रीय कार्यसमिति में देश भर से सम्मिलित पत्रकारों की यह समस्या भी सामने आई है कि अनेक स्थानों पर उनके वाहन को टोल टैक्स चुकाना पड़ता है। वैसे तो भारतीय संविधान में दोहरी कर प्रणाली का प्रावधान नहीं है। वाहन खरीदने पर आजीवन रोड टेक्स लिया जाता है, तो अच्छी सड़कें उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है। वाहनों पर यह टेक्स लगाने का उद्देश्य भी यही था।अब सड़क निर्माण का बोझ वाहन इस्तेमाल करने वालों पर अतिरिक्त रूप से डाला जा रहा है। प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और कुछ विशिष्ठ लोगों को टोल से राहत दी जाती है। राज्य सरकारों द्वारा कुछ राज्यों में अधिमान्य पत्रकारों को इससे राहत का प्रावधान है। नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स के मामले में पत्रकार इस सुविधा से वंचित हैं। पत्रकार भी जनप्रतिनिधियों की भांति लोकतंत्र के प्रहरी हैं और उन्हें इस सुविधा से वंचित रखना पक्षपात जैसा लगता है।नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की यह कार्यसमिति केंद्र सरकार से मांग करती है कि नेशनल हाईवे पर बने हुए टोल प्लाजा पर पत्रकारों को टोल टैक्स से मुक्त करने के संबंध में विधिवत आदेश जारी कर राहत प्रदान करें।

प्रस्ताव -4

पत्रकारों को मिलने वाला रेलवे कंसेशन तुंरत बहाल किया जाए

देश कोरोना महामारी से धीरे धीरे उबर रहा है। रेलवे का भी 95% परिचालन फिर से प्रारंभ हो गया है। रेलवे फिर से अच्छा व्यवसाय करके मुनाफे की ओर अग्रसर हो है। ऐसे में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की यह कार्य समिति बैठक भारत सरकार के रेल मंत्रालय से मांग करती है कि पत्रकारों को मिलने वाला रेलवे कंसेशन फिर से तुरंत बहाल किया जाए। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की यह कार्य समिति भारत सरकार के रेल मंत्रालय से मांग भी करती है कि पत्रकारों की आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके इसके लिए पत्रकार कोटा भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि पत्रकार प्राथमिकता के आधार पर यात्रा कर सकें क्योंकि पत्रकारों को प्रायः व्यावसायिक कार्य के लिए तुरंत यात्रा करने की जरूरत पड़ती है।

श्री सुनील पांडे वरिष्ठ पत्रकार जनसत्ता राष्ट्रीय सचिव के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से राष्ट्रीय कार्यसमिति में प्रतिभाग करते पत्रकार, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता के साथ