लक्ष्मण झूला पुल के स्थान पर नए मोटर पुल का निर्माण कार्य का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा, क्या है पूरा मामला ?

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पुराने लक्ष्मणझूला पुल के स्थान पर नए मोटर पुल का निर्माण का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देते हुए हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी ने न्यायालय में याचिका दायर की है। आरोप है कि अर्हता पूरी न करने वाली कंपनी को टेंडर दे दिया गया है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में यथास्थिति बनाने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।

लोक निर्माण विभाग की ओर से लक्ष्मण झूला में पुराने झूला पुल के समीप टू-लेन मोटर पुल का निर्माण किया जाना है। इस पुल के निर्माण के लिए विभाग की ओर से 20 नवंबर को टेंडर आमंत्रित किए गए थे। 23 नवंबर को टेंडर खोले गए। निर्माण के लिए हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी, कैलाश हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी और पी एंड आर इंफ्रा प्रोजेक्ट कंपनी के टेंडर को विभाग की ओर से सही पाया गया। इस मामले में तीसरी कंपनी पी एंड आर इंफ्रा प्रोजेक्ट के टेंडर को मंजूरी दे दी गई।

हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी ऋषिकेश की ओर से उच्च न्यायालय नैनीताल में विभाग की इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई। इसमें कंपनी ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को काम दिया गया है वह टेंडर की अर्हता को पूरा नहीं करती है। हिलवेज कंपनी के निदेशक अजय शर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले में मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता को पत्र लिखकर कंपनी की ओर से आपत्ति दर्ज करा दी गई थी। बावजूद इसके आपत्ति को नहीं सुना गया। जिस कारण हम न्यायालय की शरण में गए

उच्च न्यायालय ने पांच जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग के सचिव, मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता को यथास्थिति बनाने के आदेश जारी किए। न्यायालय ने इस मामले में 20 फरवरी अगली सुनवाई की तिथि निश्चित की है। कंपनी निदेशक अजय शर्मा का कहना है कि न्यायालय में सुनवाई की तिथि तक जिस कंपनी को काम दिया गया उसके साथ एग्रीमेंट नहीं हुआ था। उन्हें अंदेशा है कि बैक डेट पर एग्रीमेंट किया जा सकता है।

लोक निर्माण विभाग नई टिहरी के अधीक्षण अभियंता एनपी सिंह का कहना है कि उच्च न्यायालय की ओर से हमें चार जनवरी की शाम सूचित करते हुए जवाब मांगा गया था। जिस पर हमने ई-मेल के जरिये न्यायालय को जवाब भेज दिया था। जिसमें अवगत कराया गया था कि मौके पर काम चल रहा है। न्यायालय ने हमारे जवाब को अपने आदेश में शामिल किया या नहीं जानकारी नहीं है। पांच जनवरी को संबंधित कंपनी के साथ एग्रीमेंट कर दिया गया था और सात जनवरी को न्यायालय का आदेश उन्हें प्राप्त हुआ। इसी आधार पर यथास्थिति बनाई गई है(गस)