गुरु शिष्य का रिश्ता सबसे पवित्र और उत्तम- उमाभारती महाराज

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गुरु ज्ञान का अथाह भंडार

उमेश्वर धाम में आयोजित गुरू पूर्णिमा महोत्सव संपन्न
हरिद्वार। उमेश्वरधाम आश्रम की परमाध्यक्ष उमा भारती महाराज ने कहा है कि गुरु शिष्य का रिश्ता सबसे पवित्र और उत्तम माना जाता है। परमात्मा की प्राप्ति का साधन गुरु ही है और गुरु ही शिष्य के जीवन को भवसागर से पार लगाता है। भूपतवाला स्थित उमेश्वरधाम आश्रम में आयोजित दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के समापन पर श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए माता उमा भारती महाराज ने कहा कि गुरु ज्ञान का अथाह भंडार है। गुरू से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं का अनुसरण कर सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। शिष्य के जीवन को सफल बनाना गुरू का दायित्व है। जो शिष्य गुरु मार्ग का अनुसरण कर उनके आदेशों का पालन करता है। वह परमात्मा की प्राप्ति कर जीवन में नए आयाम स्थापित करता है। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा अनादि काल से भारत को गौरवान्वित कर रही है। रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, जगतगुरु शंकराचार्य ,जगद्गुरु रामानंदाचार्य जैसे महापुरुषों ने भारत सहित पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर समाज को एक नई दिशा प्रदान की है। वह दिन दूर नहीं जब भारत फिर से विश्व गुरु के रूप में पूरे विश्व में अपना परचम लहराएगा। स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि योग्य गुरु मार्गदर्शन में सुयोग्य शिष्य का ज्ञान के प्रति समर्पण और त्याग तपस्या से ही भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म जीवंत है। समाज में जनचेतना, धार्मिक विचारों को जागृत करना ही संत समाज का मूल उद्देश्य है। सभी को मिलजुलकर एकता, भाईचारे और सद्भावना के साथ एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करने और भारत की एकता अखंडता बनाए रखने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए। महंत आशीष भारती ने कार्यक्रम पधारे संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।