जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देते संत

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करोड़ो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा पुंज थे ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती -ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

हरिद्वार। भीमगोड़ा स्थित जयराम आश्रम में संत समाज ने स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति बताया। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य महाराज करोड़ों सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा के पुंज थे। वे उदार मानवतावादी और राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत संत थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का ब्रह्मलीन होना एक युग का अंत होना है। संत समाज के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। भारत साधु समाज राज्य सरकार से यह मांग करता है कि उनकी आखिरी इच्छा को दृष्टिगत रखते हुए जौली ग्रांट एयरपोर्ट का नाम जगतगुरु शंकराचार्य महाराज के नाम पर रखा जाए। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने हिंदुओं का मार्गदर्शन कर मोक्ष प्राप्ति के साधन का संचार संपूर्ण मानवता में किया। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज राष्ट्रीय भावना के कारण श्रेष्ठ सन्यासियों में एक गिने जाते हैं और सनातन संस्कृति के सबसे बड़े धर्म गुरुओं में एक है। जिन्होंने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने, उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट का विरोध सहित यूनिफॉर्म सिविल लॉ की वकालत करने समेत कई मुद्दों की महत्वपूर्ण मांग उठाकर राम मंदिर निर्माण के लिए भी एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी समाज को एकता के सूत्र में पिरोने में उनका अहम योगदान सभी को स्मरण रहेगा। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने जगतगुरु शंकराचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि सनातन धर्म को शिखर तक पहुंचाने में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का योगदान अतुल्य है। द्वारका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में उन्होंने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर धर्म के प्रति जागृत किया और समाज से जात पात ऊंच-नीच जैसी भावना को मिटाकर समरसता का भाव बनाया। एक संत एक स्वाधीनता सेनानी एक आचार्य और सनातन के धर्माचार्य तक उनका व्यक्तित्व हमेशा करोड़ों धर्मावलंबियों के दिल में राज करता रहेगा। संत समाज ऐसी महान विभूति को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग करता है। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत शिवानंद भारती, महंत गोविंद दास उदासीन, महंत शिवानंद, महंत तूफान गिरी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत कृष्ण मुनि, स्वामी केशवानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की शिक्षाएं-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार। निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जैसे दिव्य महापुरूष का ब्रह्मलीन होना सनातन जगत के लिए भारी क्षति है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। श्री दक्षिण काली मंदिर में ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद उनके लिए गुरूतुल्य थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके दिखाए मार्ग व उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सनातन धर्म व संस्कृति के उत्थान में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साथ में फोटो नम्बर 11
पित्त पक्ष में राम कथा श्रवण अनंत फलदाई: आचार्य उद्धव मिश्र
हरिद्वार। पित्त पक्ष में श्रीराम कथा श्रवण अनंत फलदाई है। रामभक्त हनुमान के सम्मुख भगवान श्रीराम के चरित्र का गुणगान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, वहीं राम की भक्ति और हनुमान की शक्ति मनुष्य की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। राधा रासबिहारी मंदिर कनखल के संस्थापक आचार्य उद्धव मिश्र निरंजनी अखाड़े के स्वामी आलोक गिरी महाराज की प्रेरणा से श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान,नर्मदेश्वर महादेव मंदिर जगजीतपुर, कनखल में श्रीराम कथा का गुणगान कर रहे है। श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य उद्धव ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा पिता राजा दक्ष के विरोध के बावजूद माता सती ने शिव के साथ विवाह किया। शिव की बारात में भूत, प्रेत, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर शामिल हुए। इससे कुपित होकर राजा दक्ष ने शिव के साथ सभी संबंध समाप्त कर लिए। इसके बाद राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और शिव को नहीं बुलाया। माता सती शिव की आज्ञा के बिना यज्ञ में पहूंची। वहां पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और यज्ञकुंड में आत्मदाह कर लिया। इसके बाद भगवान शिव के आदेश पर वीरभद्र ने यज्ञ को तहस नहस कर दिया और राजा दक्ष का सर काटकर अग्नि में स्वाहा कर दिया। बाद में स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने बकरे का सिर लगाकर राजा दक्ष को पुनर्जीवन दिया। आचार्य उद्धव ने कहा अहंकार के कारण दक्ष का विनाश हुआ, पति की आज्ञा न मानने के सती को आत्मदाह करना पड़ा। क्रोध में शिव ने यज्ञ को तहस नहस करवा दिया। अहंकार, माया और मोह में विनाश के कारक है। श्रद्धा, भक्ति उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए मनुष्य को सर्वस्व त्याग कर ईश्वर की शरण में जाना चाहिए। आचार्य उन्होंने कहा किशरणागत की रक्षा करने के लिए राम भक्त हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं। आचार्य उद्धव ने कहा कि राम नाम की महिमा अपरंपार है। राम नाम का जाप करने वाले भक्त के संग सदैव हनुमान जी विराजते हैं। ऐसे भक्तों को भगवान राम की कृपा से हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या को देने के साथ समस्त क्लेशों का हरण करते हैं। भूत, प्रेत, पिसाच का भी भय नहीं रहता। रोग दोष भी रामभक्तों के पास नहीं फटकते। उन्होंने कहा कि हनुमान जी को जीवित देवता की संज्ञा दी गई है। जो भगवान राम के आशीर्वाद से सदैव भक्तों की रक्षा में लीन रहते हैं। केवल राम नाम का जाप करने से ही मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इसमें तनिक वही संख्या नहीं है। उन्होंने कहा माया की भाग दौड़ में ऐसे भी लोग हुए, जिन्होंने अपने जीवन काल में एक बार भी राम कथा का श्रवण नहीं किया और माया के पीछे भागते भागते ही उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई। मरणोपरांत भी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकी। ऐसे में उनके वंशजों के द्वारा राम कथा का श्रवण करने से पूर्वजों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होगी। इसलिए पितरों के निमित्त श्राद्ध पक्ष में राम कथा का श्रवण करना अनिवार्य है। राम कथा का श्रवण करने बालों में बाबा नीरज गिरी बाबा मनकामेश्वर गिरी दामोदर गिरी रिजवान संजीव राणा पंडित अभय मिश्रा सहित अन्य लोग शामिल रहे।स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देते संत
करोड़ो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा पुंज थे ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती-ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
हरिद्वार। भीमगोड़ा स्थित जयराम आश्रम में संत समाज ने स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति बताया। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य महाराज करोड़ों सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा के पुंज थे। वे उदार मानवतावादी और राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत संत थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का ब्रह्मलीन होना एक युग का अंत होना है। संत समाज के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। भारत साधु समाज राज्य सरकार से यह मांग करता है कि उनकी आखिरी इच्छा को दृष्टिगत रखते हुए जौली ग्रांट एयरपोर्ट का नाम जगतगुरु शंकराचार्य महाराज के नाम पर रखा जाए। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने हिंदुओं का मार्गदर्शन कर मोक्ष प्राप्ति के साधन का संचार संपूर्ण मानवता में किया। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज राष्ट्रीय भावना के कारण श्रेष्ठ सन्यासियों में एक गिने जाते हैं और सनातन संस्कृति के सबसे बड़े धर्म गुरुओं में एक है। जिन्होंने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने, उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट का विरोध सहित यूनिफॉर्म सिविल लॉ की वकालत करने समेत कई मुद्दों की महत्वपूर्ण मांग उठाकर राम मंदिर निर्माण के लिए भी एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी समाज को एकता के सूत्र में पिरोने में उनका अहम योगदान सभी को स्मरण रहेगा। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने जगतगुरु शंकराचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि सनातन धर्म को शिखर तक पहुंचाने में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का योगदान अतुल्य है। द्वारका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में उन्होंने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर धर्म के प्रति जागृत किया और समाज से जात पात ऊंच-नीच जैसी भावना को मिटाकर समरसता का भाव बनाया। एक संत एक स्वाधीनता सेनानी एक आचार्य और सनातन के धर्माचार्य तक उनका व्यक्तित्व हमेशा करोड़ों धर्मावलंबियों के दिल में राज करता रहेगा। संत समाज ऐसी महान विभूति को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग करता है। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत शिवानंद भारती, महंत गोविंद दास उदासीन, महंत शिवानंद, महंत तूफान गिरी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत कृष्ण मुनि, स्वामी केशवानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की शिक्षाएं-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार। निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जैसे दिव्य महापुरूष का ब्रह्मलीन होना सनातन जगत के लिए भारी क्षति है। जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। श्री दक्षिण काली मंदिर में ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद उनके लिए गुरूतुल्य थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके दिखाए मार्ग व उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सनातन धर्म व संस्कृति के उत्थान में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साथ में फोटो नम्बर 11
पित्त पक्ष में राम कथा श्रवण अनंत फलदाई: आचार्य उद्धव मिश्र
हरिद्वार। पित्त पक्ष में श्रीराम कथा श्रवण अनंत फलदाई है। रामभक्त हनुमान के सम्मुख भगवान श्रीराम के चरित्र का गुणगान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, वहीं राम की भक्ति और हनुमान की शक्ति मनुष्य की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। राधा रासबिहारी मंदिर कनखल के संस्थापक आचार्य उद्धव मिश्र निरंजनी अखाड़े के स्वामी आलोक गिरी महाराज की प्रेरणा से श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान,नर्मदेश्वर महादेव मंदिर जगजीतपुर, कनखल में श्रीराम कथा का गुणगान कर रहे है। श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य उद्धव ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा पिता राजा दक्ष के विरोध के बावजूद माता सती ने शिव के साथ विवाह किया। शिव की बारात में भूत, प्रेत, यक्ष, गन्धर्व, किन्नर शामिल हुए। इससे कुपित होकर राजा दक्ष ने शिव के साथ सभी संबंध समाप्त कर लिए। इसके बाद राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और शिव को नहीं बुलाया। माता सती शिव की आज्ञा के बिना यज्ञ में पहूंची। वहां पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और यज्ञकुंड में आत्मदाह कर लिया। इसके बाद भगवान शिव के आदेश पर वीरभद्र ने यज्ञ को तहस नहस कर दिया और राजा दक्ष का सर काटकर अग्नि में स्वाहा कर दिया। बाद में स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने बकरे का सिर लगाकर राजा दक्ष को पुनर्जीवन दिया। आचार्य उद्धव ने कहा अहंकार के कारण दक्ष का विनाश हुआ, पति की आज्ञा न मानने के सती को आत्मदाह करना पड़ा। क्रोध में शिव ने यज्ञ को तहस नहस करवा दिया। अहंकार, माया और मोह में विनाश के कारक है। श्रद्धा, भक्ति उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। इसलिए मनुष्य को सर्वस्व त्याग कर ईश्वर की शरण में जाना चाहिए। आचार्य उन्होंने कहा किशरणागत की रक्षा करने के लिए राम भक्त हनुमान सदैव तत्पर रहते हैं। आचार्य उद्धव ने कहा कि राम नाम की महिमा अपरंपार है। राम नाम का जाप करने वाले भक्त के संग सदैव हनुमान जी विराजते हैं। ऐसे भक्तों को भगवान राम की कृपा से हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या को देने के साथ समस्त क्लेशों का हरण करते हैं। भूत, प्रेत, पिसाच का भी भय नहीं रहता। रोग दोष भी रामभक्तों के पास नहीं फटकते। उन्होंने कहा कि हनुमान जी को जीवित देवता की संज्ञा दी गई है। जो भगवान राम के आशीर्वाद से सदैव भक्तों की रक्षा में लीन रहते हैं। केवल राम नाम का जाप करने से ही मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। इसमें तनिक वही संख्या नहीं है। उन्होंने कहा माया की भाग दौड़ में ऐसे भी लोग हुए, जिन्होंने अपने जीवन काल में एक बार भी राम कथा का श्रवण नहीं किया और माया के पीछे भागते भागते ही उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई। मरणोपरांत भी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकी। ऐसे में उनके वंशजों के द्वारा राम कथा का श्रवण करने से पूर्वजों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होगी। इसलिए पितरों के निमित्त श्राद्ध पक्ष में राम कथा का श्रवण करना अनिवार्य है। राम कथा का श्रवण करने बालों में बाबा नीरज गिरी बाबा मनकामेश्वर गिरी दामोदर गिरी रिजवान संजीव राणा पंडित अभय मिश्रा सहित अन्य लोग शामिल रहे।