गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक दिनेश भट्ट का दावा, राजहंस पक्षी स्वदेश लौटे

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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक एमिरीटस प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया कि बसंत ऋतु के अंतिम चरण में दिनमान और तापमान के बढ़ने के साथ ही राजहंस पक्षी स्वदेश लौट गए हैं। इस वर्ष राजहंस पक्षियों को हरिद्वार का मिस्सरपुर गंगा घाट काफी पसंद आया। राजहंस पक्षी पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष काफी लंबे समय तक मिस्सरपुर में नजर आए। भट्ट ने बताया कि अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण भारत से अपने देशों की ओर उड़ान भरने वाले कुछ पक्षी जैसे राजहंस, गल्स, पिनटेल आदि मार्च माह में अपनी वापसी यात्रा के दौरान कुछ समय के लिए गंगा तटों में भी विश्राम करते हैं। और सेंट्रल एशियन फ्लाई वे मार्ग से स्वदेश (रूस, मंगोलिआ, चीन, कजाकिस्तान आदि) पहुंचते हैं। मार्ग तय करने के लिए इन्हें प्रकृति ने वरदान दिया है कि प्रस्थान करने से पूर्व इनके शरीर में वसा की मात्रा बढ़ेगी और चोंच पर लगे जीपीएस जैसे सेंसर से इन्हें दिशा बोध होगा।शोधार्थी आशीष कुमार आर्य ने बताया कि राजहंस नामक पक्षी मानसरोवर झील से सर्दियों में भारत के उत्तरी मैदानी भागों में प्रवास करता है। राजहंस सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी है। इस पक्षी को कई बार माउंट एवरेस्ट के ऊपर से भी उड़ते हुए देखा गया है। यह पक्षी मानसरोवर झील से मंगोलिआ तक ग्रीष्म काल में प्रजनन करता है और वहां शीत ऋतु में बर्फ पड़ते ही भारत की ओर प्रस्थान करता है। प्रोफेसर भट्ट की टीम में रोबिन राठी, आशीष कुमार आर्या, पारुल भटनागर, रेखा रावत आदि शोध छात्र शामिल रहे हैं।
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