हरिद्वार। माँ मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि नवरात्रों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र में माँ दुर्गा के पूजन का विशेष महत्व है। माँ की पूजा करने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। प्रथम नवरात्र पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के सानिध्य में पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।इस दौरान मनसा देवी मंदिर को फूल और रंग बिरंगी लाइटों से भव्य रूप से सजाया गया। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महारण ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा का नाम शैलपुत्री पड़ा था। मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है। उन्होंने बताया कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। उन्हें लाल सिंदूर, अक्षत, धूप आदि चढ़ाएं। इसके बाद माता के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करें और इसके बाद घी का दीपक और कपूर जलाकर आरती करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग अधिक प्रिय होता है, इसलिए उन्हें सफेद रंग की बर्फी का भोग लगाए। साथ ही पूजा में सफेद रंग के फूल अर्पित करें। इतना ही नहीं, पूजा करते समय सफेद वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। इसके बाद भोग लगे फल और मिठाई को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें। जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी और मिश्री रखकर अर्पित करने से परेशानियों से निजात मिलती है।
2021-10-07