राज्य में कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने में उनका भी कम योगदान नहीं -किशोर उपाध्याय
देहरादून। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पिछले विधानसभा चुनाव में सहसपुर सीट पर मिली हार का दर्द फिर बयां किया। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत शुक्रवार से सहसपुर विधानसभा क्षेत्र की यात्रा कर रहे हैं। इस मौके पर किशोर ने रावत को पत्र लिखकर अपनी हार को षडयंत्र बताया।
इंटरनेट मीडिया के माध्यम से प्रेषित पत्र में किशोर उपाध्याय का काफी कुछ सवालिया अंदाज है। उन्होंने कहा कि हरीश रावत सहसपुर में सेलाकुई कस्बे में पदयात्रा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि वह 2017 में सहसपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन हरीश रावत के आदेश पर चुनाव लड़ने के लिए हामी भरी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि उनके चुनाव लड़ने की स्थिति में 2012 में सहसपुर से चुनाव लड़ने वाले के साथ अन्याय होगा। तब केंद्रीय नेतृत्व ने भरोसा दिया था कि उन्हें सहमत करने की जिम्मेदारी उन पर ही है। बाद में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ कांग्रेस में रहे व्यक्ति ने बड़ी हिम्मत कर चुनाव लड़ा।
इसके बाद उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस में ससम्मान वापसी भी हो गई और बड़े पदों पर भी विराजमान किया गया है। उन्होंने तंज कसा कि शायद इस काम से पार्टी की भी इज्जत बढ़ी है। 2022 का चुनाव भी इसी मानसिकता से जीत रहे हैं तो उन्हें अपमान भी सहर्ष मंजूर है।किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद कांग्रेस की हालत बेहद खराब थी। राज्य में कांग्रेस को पुनर्स्थापित करने में उनका भी कम योगदान नहीं है। उन्होंने कहा कि 2012 का चुनाव उन्हें जनता ने नहीं हराया, बल्कि कांग्रेस के बड़े नेता ने षडयंत्र कर हराया। 2017 में भी वह बड़े षडयंत्र का शिकार हो गए। किशोर के इस पत्र के बाद पार्टी में अंतरकलह फिर सतह पर आ गई है(ग.स.)