भागवत कथा के रसपान से जीवन भवसागर से पार- आचार्य मुकेश
श्रीमद् भागवत कथा मर्मज्ञ आचार्य मुकेश भारद्वाज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त भागवत कथा का रसपान कर लेता है, उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भूपतवाला स्थित जांगिड़ सेवा सदन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कथाव्यास आचार्य मुकेश भारद्वाज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है और इसमें सभी ग्रंथों का सार निहित है। जिसके पठन एवं श्रवण से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे। कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित हो जाता है। हम अपने बच्चों को संस्कारवान बनाकर उन्हें धर्म के प्रति प्रेरित करना चाहिए और पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। आचार्य आनंद बेलवाल ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत देवताओं को भी दुर्लभ है। गंगा तट पर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। कथा के यजमान पालीराम शर्मा, मुन्नी देवी, विजेंद्र शर्मा एवं इंदु शर्मा ने कथा में पधारे सभी संतों एवं आचार्यों का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया और सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह परम सौभाग्यशाली हैं। जो उन्हें उत्तराखंड की देवभूमि और हरिद्वार की पावन धरा पर कथा के आयोजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर आचार्य विष्ण,ु आचार्य अनुपम, आचार्य शैलेंद्र, विनोद शर्मा, रितु शर्मा, अमित शर्मा, प्रतिभा शर्मा, राजीव शर्मा, निधि शर्मा, शुभ शर्मा, शिव शर्मा आदि मौजूद रहे।