हरिद्वार वन प्रभाग के सभी रेंज के रेंजर रहे मौजूद
राजाजी पार्क में बाघ गणना को लेकर वन कर्मचारियों और नए प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में हरिद्वार वन प्रभाग के सभी रेंजों के रेंजर मौजूद रहे। शुक्रवार को हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ यूनिट परिसर में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बाघों की उपस्थिति किसी भी जंगल के संरक्षण की निशानी होती है। जिसके लिए विश्व स्तर पर संरक्षण को प्रयास किए जा रहे हैं। जिसको लेकर भारत भी अपने जंगलों में बाघों के संरक्षण को प्रयासरत है। प्रशिक्षण में डॉ. राकेश नौटियाल ने कहा कि बाघ की गणना हर चार साल बाद की जाती है। डॉ. अमित ध्यानी और प्रेमा ध्यानी ने कहा कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। बाघ वन्य आहार श्रंखला की महत्वपूर्ण कड़ी होने के साथ ही पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। बताया कि कैमरों से बाघों की गणना करने में जिन स्थानों पर परेशानी आती है, जहां बाघों का घनत्व कम होता है, वहां डीएनए फिंगर तकनीक का अधिक प्रयोग किया जाता है। डीएनए फिंगर तकनीक में बाघों को उनके मल से पहचाना जाता है। बाघों के पंजों के निशान से भी इनकी गणना की जा सकती है। बताया कि भारत विश्व मे उस तेरहवें देशों में शामिल है, जहां अत्यधिक रूप से बाघ पाए जाते हैं। इस अवसर पर वन क्षेत्राधिकारी खानपुर राम सिंह, श्यामपुर यशपाल सिंह राठौर, वन दरोगा सुनील भदुला, रश्मि, विपिन नेगी योगेश, वन आरक्षी मनवर सिंह, वन प्रशिक्षु प्रदीप कुमार, पंकज कुमार, अवनीश भट्ट, महावीर, रोशनी, राजकुमार, अभिषेक नौटियाल मुख्य रूप से उपस्थित रहे।