हार्टफुलनेस के कमलेश पटेल ने किया पतंजलि के विविध प्रकल्पों का भ्रमण

Listen to this article

कमलेश‘दा ‘पूरे विश्व में योग व अध्यात्म का प्रसार कर रहे हैंः स्वामी रामदेव

हार्टफुलनेस संस्थान भारत व भारतीयता के लिए कार्य कर रहा हैः आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार। हार्टफुलनेस मेडिटेशन ट्रस्ट के अन्तर्राष्ट्रीय प्रमुख तथा पद्म भूषण पुरस्कार विजेता कमलेश पटेल ‘दा‘जी ने अपनी पतंजलि यात्रा के दूसरे दिन पतंजलि के विभिन्न सेवा प्रकल्पों का अवलोकन कर पतंजलि के सेवा कार्यों की प्रशंसा की। योगग्राम तथा निरामयम् का अवलोकन कर पूज्य ‘दा‘जी ने कहा कि चारों ओर से हताश, निराश मानवता को पतंजलि से आशा की किरण दिखाई पड़ रही है। वैलनेस के रूप में स्थापित चिकित्सा प्रकल्पों के माध्यम से करोड़ों लोग भारतीय पुरातन उपचार पद्धति तथा हमारे पूर्वजों के विज्ञान से आरोग्य पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि त्रस्त रोगी मानवता को नैरोग्यता प्रदान करने से बड़ा सेवा का और कोई कार्य नहीं हो सकता। खाद्य प्रसंस्करण इकाई पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क लि. तथा दिव्य फार्मेसी ए-1 का भ्रमण कर पूज्य ‘दा ‘जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के नेतृत्व में स्वदेशी का बड़ा आंदोलन पतंजलि से गतिमान है। स्वदेशी आंदोलन को तीव्र गति प्रदान में पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क तथा दिव्य फार्मेसी ए-1 की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने गुणवत्तायुक्त स्वदेशी उत्पादों को कम दाम में सुलभ कराकर मल्टी नेशनल कम्पनियों की नींद उड़ा दी है। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने कहा कि पूज्य ‘दा ‘जी पूर्ण आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं तथा पूरे विश्व में योग व अध्यात्म का प्रसार कर रहे हैं। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि योगपीठ तथा हार्टफुलनेस संस्थान भारतीय परम्परागत ज्ञान को विश्वपटल पर पुनः प्रतिष्ठापित करने की दिशा में कार्यरत हैं। हार्टफुलनेस संस्थान पूज्य‘दा‘जी के नेतृत्व में भारत व भारतीयता के लिए कार्य कर रहा है। इस अवसर पर ‘दा ‘जी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द विज्डम ब्रिज’का विमोचन स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर पतंजलि योग समिति की मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया, आचार्यकुलम् की निदेशिका बहन ऋतम्भरा शास्त्री,मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव,डॉ.जयदीप आर्य, विश्वविद्यालय के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव,स्वामी तीर्थदेव आदि गणमान्य उपस्थित रहे।