गिलोय को परंपरागत रूप से रक्त शोधन व रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि प्राचीन काल से –आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। गिलोय के लिवर को स्वस्थ रखने की क्षमता और अन्य लाभकारी प्रभावों को अब यूनाइटिड किंगडम ने भी स्वीकार किया है। जिसे रॉयल फार्मास्यूटिकल सोसाइटी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन के प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल‘जर्नल ऑफ फार्मेसी एण्ड फार्माकोलॉजी में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित किया है। यू.के. के जर्नल ऑफ फार्मेसी एण्ड फार्माकोलॉजी ने स्वीकार किया है कि गिलोय पर अनुसंधान में पाया गया है कि यह लिवर को स्वस्थ रखने के साथ शरीर की कोशिकाओं का क्षरण रोकने तथा लिवर को सुरक्षा प्रदान करने में सहायक है। साथ ही गिलोय शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है। गिलोय को प्रतिदिन प्रयोग करके अनेक रोगों में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गिलोय का प्रयोग लिवर को सुरक्षा प्रदान करने वाले पूरक खाद्य के रूप में किया जा सकता है। आचार्य बालकृष्ण महाराज ने बताया कि गिलोय को परंपरागत रूप से रक्त शोधन व रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि के लिए प्राचीनकाल से ही प्रयोग किया जाता था। गिलोय एक हेपेटोप्रोटेक्टिव एजेंट है। अनुसंधान द्वारा इसकी क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए सीसीआई 4 मॉडल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। इसके हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभावों का श्रेय, एल्कलॉइड्स (बर्बेरिन, पामेटाइन और जेट्रोर्रिजिन) और सिनापिक एसिड को दिया जा सकता है। बर्बेरिन टीएनएफ एंड द्वारा ट्रिगर किए गए प्रिनफ्रलेमेट्री कैस्केड को रोककर सूजन को कम करता है और आईएनओएस को रोककर नाइट्रोसेटिव तनाव को कम करता है। गिलोय कैंसररोधी, सूजनरोधी, रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य गतिविधियां भी प्रदर्शित करता है। गिलोय को रासायनिक-मध्यस्थ हेपेटोटॉक्सिसिटी के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले कई पॉलीहर्बल फॉर्मूलेशन में एक सक्रिय औषधीय घटक पाया गया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद को कुलचने का भरसक प्रयास किया गया। किन्तु पतंजलि ने सदैव आयुर्वेद को गौरव प्रदान किया है। कोरोनाकाल में गिलोय को लेकर भ्रांति पैदा करने का प्रयास किया गया कि गिलोय के अधिक सेवन से लिवर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। किन्तु पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गिलोय पर अनुसंधान कर उसे एविडेंस के साथ प्रस्तुत किया। आचार्य ने कहा कि कि कोरोना के खिलाफ प्रमुख औषधि कोरोनिल का एक प्रमुख घटक गिलोय है। पतंजलि के प्रयासों से आज दुनियाभर के वैज्ञानिक आयुर्वेद का लोहा मान रहे हैं।