– राकेश अचल
झामुमो के एक वोट की वजह से एक जमाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार औंधे मुंह गिरी थी
झामुमो के नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी के निशाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नजर आ रहे हैं। अब तक उन्हें ईडी चार बार सम्मन भेज चुकी है। हेमंत सोरेन की तरह ही अरविंद केजरीवाल भी क्षेत्रीय नेता ही हैं। उनकी पार्टी का शासन दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में है।
देश में क्षेत्रीय दल आजादी के बाद से हैं किन्तु हिंदी पट्टी में अधिकांश क्षेत्रीय दलों का जन्म 1984 के बाद हुआ। इस हिसाब से अधिकांश क्षेत्रीय दल आपातकाल के बाद की पैदाइश हैं । भाजपा इन क्षेत्रीय दलों से कोई चार साल बड़ी है ,लेकिन भाजपा ने इन क्षेत्रीय दलों से कभी अग्रज भाव नहीं पाला। झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा की अदावत बहुत पुरानी है। झामुमो के एक वोट की वजह से एक जमाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार औंधे मुंह गिर गयी थी। अटल जी तो झामुमो से बदला नहीं ले पाए लेकिन आज की भाजपा ने झामुमो से हिसाब बराबर कर लिया।
झामुमो के नेता और कल रात तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के साथ ही राज्य में सोरेन की सत्ता का अंत हो गया। अब पता नहीं हेमंत को कितनी होली-दीवाली जेल के सींखचों के पीछे मनाना पड़े। आजकल भ्रष्टाचार के मामलों में घेरे गए नेताओं को जमानत नहीं मिलती। ईडी अब तक करीब 100 लोगों को निशाने पर ले चुकी है , हेमंत सोरेन ईडी का ताजा शिकार हैं लेकिन इससे पहले गिरफ्तार किये गए पांच नेता अब तक जमानतें हासिल नहीं कर पाए है। ईडी के पास अभी भी निशाना साधने के लिए पांच और नाम हैं जिनमें अरविंद केजरीवाल का नाम अब सबसे ऊपर है।
आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया,राज्य सभा सदस्य संजय सिंह, और सत्येंद्र जैन, तृणमूल कांग्रेस के ज्योति प्रिय मलिक, डीएमके सरकार के मंत्री वी सेंथिल बालाजी भी भ्रष्टाचार के मामले में ईडी के निशाने पर हैं। ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चार बार सम्मन भेज चुकी है ,उन्हें शायद हेमंत सोरेन की तरह पांच सम्मन और भेजे जायेंगे और दसवें सम्मन के साथ ही धर लिया जाएगा। (विनायक फीचर्स)