एनयूजे उत्तराखंड ने दिव्यांग प्रतिभाओं को किया सम्मानित

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हरिद्वार: नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखंड) ने अपनी शारीरिक दिव्यांगता को मात देकर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही दिव्यांग प्रतिभाओं को ‘हौसलों की उड़ान’ कार्यक्रम में सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया।
विजेता रहे ये दिव्यांग:
* श्री स्वामी अजरानंद अंध विद्यालय हाई स्कूल: कक्षा 5 से 10 तक के नेत्रहीन विद्यार्थी प्रशांत, अमन, चंद्रमणी, नरेंद्र, सूरज और वीरपाल को शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया।
* आकांक्षा: मानसिक रूप से अशक्त विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने वाला यह संस्थान। साहिल, ऐहेतेशाम, साबिर और शशांक को नृत्य, चित्रकला और सामान्य ज्ञान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।
* नीति और तोशनी पाहूजा: मानसिक अशक्तता (डाउन सिंड्रोम) का सामना कर रही इन दोनों लड़कियों को भी उनकी प्रस्तुतियों के लिए सम्मानित किया गया।
* संदीप अरोड़ा, सरदार मोंटू, सचिन सैनी: ये सभी दिव्यांगजन स्वयं आत्मनिर्भर बनकर दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।
* सूरज नारायण, कुमेर सिंह, राकेश जोशी, उमाशंकर: ये सभी नेत्रहीन शिक्षक हैं जो दूसरों को ज्ञान देने का कार्य कर रहे हैं।
* अरूणा: एक शिक्षिका जिन्हें भी उत्कृष्ट प्रतिभा सम्मान प्रदान किया गया।
* तूबा पठान और इकरा: मूक-बधिर होने के बावजूद इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की है और आगे रोजगारपरक प्रशिक्षण ले रही हैं।
कार्यक्रम में विशेष:
* नेत्रहीन विद्यार्थी मनोज ने भजन गाया और उनके साथ शिवांग, गौरव, वीरपाल ने तबले और हारमोनियम पर संगत की।
* शिक्षाविद् प्रो. सुनील बत्रा ने दिव्यांग प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया।
* उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. सुनील कुमार जोशी ने दिव्यांगता के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताया और एनयूजे उत्तराखंड की पहल की सराहना की।
* ज्वालापुर के विधायक रवि बहादुर ने दिव्यांग प्रतिभाओं को सम्मानित करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण क्षण है।
एनयूजे उत्तराखंड का प्रयास:
एनयूजे उत्तराखंड पिछले दस वर्षों से दिव्यांग प्रतिभाओं को सम्मानित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहा है। इस संस्था का उद्देश्य है कि दिव्यांगजन भी समाज में अपना योगदान दे सकें और एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।
  संपादक की टिप्पणी :
यह कार्यक्रम दिव्यांग प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। यह हमें दिखाता है कि दिव्यांगता कोई बाधा नहीं है और अगर हम दृढ़ निश्चयी हों तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।