खास खबर:  भेल उपनगरी में उप-किरायेदारी का मुद्दा छाया

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हरिद्वार: भेल उपनगरी के मकान मूल रूप से भेल कर्मचारियों के लिए बनाए गए थे। पहले, भेल में मकान पाना बहुत मुश्किल था। लेकिन समय के साथ नियमों में ढील दी गई और बाहरी लोगों, खासकर राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी मकान मिलने लगे।
* राज्य सरकार के कर्मचारी: इन कर्मचारियों ने एक बार मकान लेने के बाद इसे खाली नहीं किया, जिससे भेल को आर्थिक नुकसान हुआ।
* पुलिसकर्मी: पुलिसकर्मियों ने भी मकान खाली नहीं किए।
* अन्य अधिकारी: कुछ मकान ऐसे भी हैं जो राजनीतिक प्रभाव के कारण आवंटित किए गए थे। जब राजनेता हट गए तो उनके सहयोगी भी मकान खाली नहीं कर रहे हैं।
* भेल का संपदा विभाग: भेल का संपदा विभाग इन सब बातों से वाकिफ है, लेकिन कार्रवाई करने से क्यों डर रहा है?
नुकसान:
* भेल को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
* भेल के कर्मचारियों को मकान नहीं मिल पा रहे हैं।
* उपनगरी में अवैध गतिविधियां बढ़ रही हैं।
सवाल:
* भेल प्रबंधन इस समस्या का समाधान क्यों नहीं कर रहा है?
* राज्य सरकार इस मामले में क्या भूमिका निभा सकती है?
* भेल के कर्मचारी इस समस्या के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं?