– कुमार कृष्णन
गंगा नदी, भारत की संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, लेकिन प्रदूषण और विकास के नाम पर हो रहे दोहन से इसकी अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। गंगा बेसिन के 11 राज्यों में रहने वाले लाखों लोगों का जीवन इससे जुड़ा है।
मुख्य समस्याएं:
* प्रदूषण: औद्योगिक और घरेलू कचरे से गंगा का पानी दूषित हो रहा है।
* गाद: नदी में गाद जमा होने से जल प्रवाह बाधित हो रहा है।
* जल की कमी: जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक जल उपयोग से पानी की किल्लत बढ़ रही है।
* बालू खनन: अवैध बालू खनन से नदी का तट क्षतिग्रस्त हो रहा है।
* बांध: बांधों के निर्माण से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है।
* ग्लेशियर का पिघलना: जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे नदी के जल स्तर में परिवर्तन हो रहा है।
आंदोलन की मांगें:
* गंगा को बचाने के लिए देशव्यापी अभियान: गंगा के प्रदूषण और दोहन के खिलाफ लोगों को एकजुट होना होगा।
* सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता: नमामि गंगे जैसी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकना होगा।
* नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करना: बांधों को तोड़कर और गाद को हटाकर नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करना होगा।
* स्थानीय समुदायों को शामिल करना: नदी से जुड़े समुदायों के साथ मिलकर योजनाएं बनानी होंगी।
* फ्री फिशिंग एक्ट को लागू करना: पारंपरिक मछुआरों को नदी में मछली पकड़ने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
* नदियों की जमीन का संरक्षण: नदियों की जमीन पर अतिक्रमण रोकना होगा।
निष्कर्ष:
गंगा को बचाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। सरकार, उद्योग, और आम लोगों को इस दिशा में प्रयास करने होंगे।
अगले कदम:
* 22 फरवरी, 2025 को गंगा मुक्ति आंदोलन की वर्षगांठ पर देश भर के परिवर्तनवादी एकत्र होकर आगे की योजना बनाएंगे।
* गंगा मुक्ति आंदोलन, बिहार में नदियों में फ्री फिशिंग एक्ट बनाने के लिए आंदोलन तेज करेगा।
* नदियों की जमीन का सीमांकन करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।(विफी)
2024-12-04