हरिद्वार, उत्तराखंड: नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) [एनयूजे (आई)] का राष्ट्रीय अधिवेशन आज हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में शुरू हुआ। एनयूजे आई के प्रदेश अध्यक्ष सुनील पांडे ने बताया इस अधिवेशन में देश भर से 200 से अधिक पत्रकार और मीडिया प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
लघु और मध्यम अखबारों के साथ एकजुटता
अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में, एनयूजे (आई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी ने लघु और मध्यम अखबार मालिकों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण कई अखबार बंद होने के कगार पर हैं और एनयूजे (आई) इन अखबारों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
पत्रकार सुरक्षा और मीडिया स्वतंत्रता पर जोर
अधिवेशन में पत्रकार सुरक्षा कानून, वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की बहाली और मीडिया काउंसिल के गठन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की।
महिला पत्रकारों का सम्मान
राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, अधिवेशन में महिला पत्रकारों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।
देश भर से प्रतिनिधियों की भागीदारी
अधिवेशन में 22 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एनयूजे (आई) की उत्तराखंड इकाई ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वरिष्ठ पत्रकारों को श्रद्धांजलि
अधिवेशन में हाल ही में दिवंगत हुए वरिष्ठ पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
पत्रकारों के कल्याण और अधिकारों पर गहन विचार-विमर्श
अधिवेशन में पत्रकारों के कल्याण और अधिकारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने पत्रकारों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।
अधिवेशन की व्यवस्थाएँ
एनयूजे(आई) के जिलाध्यक्ष आदेश त्यागी ने बताया कि अधिवेशन में आए सभी पत्रकारों की ठहरने, खाने-पीने और हरिद्वार के दार्शनिक स्थलों पर घूमने की व्यवस्थाएं व्यापक स्तर पर की गई है।
अधिवेशन के प्रमुख बिंदु:
* लघु और मध्यम अखबारों को बचाने के लिए संघर्ष का संकल्प।
* पत्रकार सुरक्षा कानून और वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की बहाली की मांग।
* मीडिया काउंसिल के गठन पर जोर।
* महिला पत्रकारों का सम्मान।
* पत्रकारों के कल्याण और अधिकारों पर गहन विचार-विमर्श।
* 22 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी।
* वरिष्ठ पत्रकारों को श्रद्धांजलि।