हरिद्वार के इब्राहिमपुर और ज्वालापुर में मुस्लिम समुदाय ने होली के त्योहार को ध्यान में रखते हुए जुमे की नमाज के समय को बदलकर सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया है।
समय परिवर्तन का कारण:
यह निर्णय होली के त्योहार के साथ जुमे की नमाज के समय के संभावित टकराव से बचने के लिए लिया गया था। मुस्लिम समुदाय ने आपसी सम्मान और सद्भाव के प्रतीक के रूप में नमाज के समय को समायोजित करने का फैसला किया।
प्रशासन और धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया:
स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस व्यवस्था, धार्मिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल की सराहना की और इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया जो भविष्य में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करेगा।
नमाज के दौरान दुआ:
नमाज के बाद, मौलाना ने देश में शांति, सद्भाव और भाईचारे के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, जहां सभी धर्मों के लोग सद्भाव से रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें एक-दूसरे के धार्मिक त्योहारों का सम्मान करना चाहिए और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रतिक्रिया और महत्व:
प्रशासन, धार्मिक नेताओं और आम जनता ने इस निर्णय का स्वागत किया और इसे भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति का एक शानदार उदाहरण बताया। इस कदम ने साबित कर दिया कि आपसी समझ और सहयोग से विभिन्न धर्मों के लोग एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान कर सकते हैं और एक साथ खुशी मना सकते हैं। यही भारत की असली पहचान है।