शिला वैदिक आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान: हर रोग का समाधान

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हरिद्वार: शिला वैदिक आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान के संस्थापक स्वामी रामदास उदासीन का कहना है कि उनके संस्थान में हर बीमारी का आयुर्वेदिक समाधान उपलब्ध है। भारतीय ऋषि-मुनियों के शोधों पर आधारित औषधियां आम लोगों के लिए सुलभ हैं, और उन्हें खुशी है कि देश-विदेश के सैकड़ों मरीज इन औषधियों से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
कनखल स्थित चेतन देव कुटिया में रहने वाले स्वामी रामदास उदासीन महाराज अपनी स्वनिर्मित औषधियों से हजारों लोगों का सफल उपचार कर चुके हैं। उनका मानना है कि मानव सेवा के लिए ही उन्होंने संन्यास धारण किया है और वे आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में जनसेवा कर रहे हैं।
स्वामी रामदास ने बताया कि आयुर्वेद का मूल सिद्धांत औषधि सेवन, पंचकर्म और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से शरीर के तीनों दोषों को संतुलित रखना है। आयुर्वेदिक उपचार में प्रकृति की शक्ति और शरीर के अंतर्निहित गुणों का उपयोग किया जाता है। इसके लिए प्रमाणित आयुर्वेद केंद्र में अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में उपचार लेना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने जोर दिया कि आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां, जैसे अनियमित खानपान, तंबाकू-शराब का सेवन, और व्यायाम की कमी, रोगों का मुख्य कारण हैं। आयुर्वेद में स्वास्थ्य बनाए रखने के तीन प्रमुख उपाय आहार (पोषण), नींद, और विहार (स्वस्थ दिनचर्या) हैं। अच्छी नींद, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम व योग अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
स्वामी रामदास ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राकृतिक और सुरक्षित है, क्योंकि यह जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग करती है, जिससे न्यूनतम दुष्प्रभाव होते हैं। आयुर्वेद एक पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जो हमारी आधुनिक जीवनशैली को सही दिशा देकर सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त जीवन जीने में सहायक है। ‘शिला वैदिक आयुर्वेद’ पिछले 25 वर्षों से प्राकृतिक उत्पादों पर आधारित दवाएं और दैनिक उपयोग की वस्तुएं उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने बताया कि 1976 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आयुर्वेद को आधिकारिक मान्यता दी है, जो इसकी व्यापकता और महत्व को दर्शाता है।