कलयुग में हरिनाम स्मरण ही भव से पार पाने का एकमात्र उपाय: श्रीमहंत रविन्द्र पुरी

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धर्म स्थापना और भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं भगवान: महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती

हरिद्वार: कनखल संन्यास मार्ग स्थित श्री रामेश्वर आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव का सुंदर वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज भी उपस्थित रहे। उन्होंने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि कथा सुनने की सार्थकता तभी है जब श्रवण के साथ उस पर मनन भी किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कलयुग में केवल हरिनाम ही भव से पार पाने का एकमात्र उपाय है। इसलिए प्रत्येक स्थिति में भगवान का नाम स्मरण करते रहना चाहिए।
कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने आगे बताया कि धर्म की स्थापना और श्रेष्ठ पुरुषों की रक्षा के लिए भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेते हैं। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से समाज को संदेश देकर जन-जन के कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह भगवान की ही लीला थी कि उनके जन्म के समय पहरेदार और महल के सभी लोग निद्रा में चले गए। भगवान के निर्देश पर वसुदेव श्री कृष्ण को गोकुल में नंद बाबा के घर ले गए, जिसकी सूचना नंद बाबा की बहन सुनंदा ने दी।
कार्यक्रम में श्री कृष्ण जन्म की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई, जिससे पूरा पंडाल ‘जय कन्हैया लाल’ के जयकारों से गूंज उठा। कथा व्यास ने इस दौरान भक्त प्रहलाद और गजेंद्र मोक्ष की कथाएं भी सुनाईं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने समुद्र मंथन, अजामिल और मोहिनी अवतार की गाथाओं का भी वर्णन किया।
श्रीमती कमलेश की स्मृति में आयोजित इस भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया। जन्मोत्सव के बाद माखन-मिश्री का प्रसाद और भगवान के जन्म की खुशी में उपहार वितरित किए गए।
प्रमुख नाम:
* श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज: श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष।
* महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज: श्रीमद् भागवत कथा के कथा व्यास।
* श्रीमती कमलेश: जिनकी स्मृति में भागवत कथा का आयोजन किया गया।