महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाते रणक्षेत्र में ही उन्हें उपदेश दिया
हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को कन्हैया,श्याम,गोपाल,केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश,वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। निष्काम कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष,युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है। इस उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। जगजीतपुर स्थित आद्य शक्ति महाकाली आश्रम में आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समारोह के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि वसुदेव ओर देवकी की आठवीं संतान भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था में ही बड़े-बड़े कार्य किए। जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया। उन्होंने कई लीलाएं की जिसमे गोचारण लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला आदि मुख्य है। इसके बाद मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न संकटों से उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और रणक्षेत्र में ही उन्हें उपदेश दिया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं तथा उनका पूरा जीवन चरित्र समाज के लिए आदर्श है। सभी को उनके जीवन चरित्र का अनुकरण करते हुए समाज के निर्बल वर्ग के उत्थान में सहयोग करना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान अर्द्धरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने पर उपस्थित संतों तथा श्रद्धालुओं ने जय कन्हैया लाल की का उद्घोष करते हुए हर्ष व्यक्ति किया। इसके उपरांत श्रद्धालु भक्तों को माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी,स्वामी रघुवीरानन्द,स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी,स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा,बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी,स्वामी अनुरागी महाराज,पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।