धर्म-कर्म:
मलमास के कारण 13-15 दिन की जगह लगभग डेढ़ महीनों का मनाया जाएगा यह पर्व -ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा
ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान, प्रताप चौक सहरसा बिहार के संस्थापक एवं निर्देशक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने बतलाया है की मैथिल में नई दुलहनों के लिए आस्था का पर्व मधुश्रावणी वैसे तो 13 से 15 दिनों का होता है,लेकिन इस बार अधिकमास (खरमास या मलमास) होने के चलते यह तकरीबन डेढ़ महीने तक चलेगा,मधुश्रावणी की शुरुआत श्रावण मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है, जबकि समापन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है। इस बार इसकी शुरुआत 07 जुलाई को होगी और समापन 19 अगस्त को टेमी दागने के साथ होगा!
ऐसे मनाया जाता है मधुश्रावणी का पर्व
ज्योतिषाचार्य प. तरुण झा के अनुसार,परंपराओं के अनुसार कोई भी व्रत खंडित नहीं किया जा सकता है,यही वजह है कि मधुश्रावणी व्रती को इस बार यह आराधना एवं पूजा लगभग डेढ़ महीने तक रखना होगा ही होगा,व्रत के दौरान महिलाएं रोजाना बगीचों से फूल और पत्ते चुनती हैं और उससे विषहारा, मतलब नाग और शिव-पार्वती का पूजा करती हैं, फूल चुनने के क्रम में उनके गीतों से माहौल महक उठता है,15 दिन के इस पूजा के दौरान नवविवाहिता को दो दिन नाग देवता की कथा सुनाई जाती है, जबकि बाकी 13 दिन के दौरान सावित्री, सत्यवान, शंकर-पावर्ती, राम-सीता, राधा-कृष्ण जैसे देवताओं की कथा भी सुनाई जाती हैं!
इन दिनों नवविवाहिता अपने मायके का एक दाना तक नहीं खाती हैं, इस दौरान वो अपने ससुराल से आए खाद्य पदार्थ का सेवन करती हैं,और ससुराल से भेजे गए वस्त्र धारण करती है एवं पूजा करती है और पति के दीर्घायु हेतु यह व्रत करती है!