संस्कृति संरक्षण से भारतीय भाषाओं को मिलेगा बढ़ावा: विशेषज्ञ

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हरिद्वार/धनौरी:  आईआईटी रुड़की की प्रोफेसर डॉ. स्मिता झा ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा। हिंदी भाषा में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का निर्माण देश के लिए एक शुभ संकेत है।
हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज धनौरी में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते हुए, प्रोफेसर झा ने कहा कि नई शिक्षा नीति आज के समय की जरूरत है। मीडिया माध्यमों में नई तकनीकी शब्दावली का निर्माण विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी के दूसरे और अंतिम दिन, जेएनयू नई दिल्ली के प्रो. डॉ. रजनीश कुमार मिश्रा ने कहा कि मीडिया माध्यमों के लिए नई तकनीकी शब्दावली का निर्माण एक सार्थक पहल है।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र बर्थवाल ने वर्ण और वाक्य विन्यास के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मी आर चौहान ने कहा कि भाषाएं कभी भी एक दूसरे की शत्रु नहीं होती हैं। भारतीय भाषाओं का विकास समानांतर हुआ है।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए, उसविवि के प्रोफेसर डॉ. दिनेश चंद्र चमोला ने कहा कि शब्दों का सफर अनवरत जारी है। अलग-अलग भाषाओं में शब्दों के विभिन्न अर्थ होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अजयवीर सिंह पुंडीर ने कहा कि दूरस्थ और अति पिछड़े क्षेत्र में देश भर के विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया जाना एक सुखद संयोग है।
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के इस कार्यक्रम का लाभ क्षेत्र के प्रतिभागियों को मिला है। कार्यक्रम को बाल कल्याण समिति हरिद्वार की अध्यक्ष अंजना सैनी, हरिओम सरस्वती पीजी कॉलेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष सुमन देवी, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. आकाश मोहन रावत, लेखाकार रमेश पाल, वरिष्ठ पत्रकार कुलभूषण शर्मा आदि ने संबोधित किया। महाविद्यालय की ओर से अतिथियों को गंगाजली देकर सम्मानित किया गया। प्रतिभागियों को अतिथियों की ओर से प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अंजु शर्मा ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन उपप्राचार्य डॉ. योगेश कुमार ने किया।