देहरादून: जिलाधिकारी सविन बंसल ने एक बार फिर अपनी जनहितैषी और न्यायप्रिय कार्यप्रणाली का परिचय दिया है। सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी में एक ऐसे मामले , जहां एक बेटे ने गिफ्ट डीड के बहाने अपने बुजुर्ग माता-पिता से उनकी 3080 वर्ग फीट की संपत्ति हड़प कर उन्हें घर से बेदखल करने की कोशिश की, डीएम बंसल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गिफ्ट डीड को तत्काल रद्द कर दिया। इस फैसले से न केवल बुजुर्ग दंपत्ति को उनकी संपत्ति वापस मिली, बल्कि उनके पोते-पोतियों से मिलने पर लगाई गई रोक भी समाप्त हो गई।
संपत्ति के लालच में बेटे ने तोड़ी शर्तें: भरण-पोषण से इनकार, पोते-पोतियों से दूरी
बुजुर्ग परमजीत सिंह ने अपनी 3080 वर्ग फुट की संपत्ति, जिसमें दो बड़े हॉल शामिल थे, गिफ्ट डीड के माध्यम से अपने बेटे गुरुविंदर सिंह के नाम कर दी थी। इस गिफ्ट डीड में स्पष्ट शर्तें थीं कि बेटा अपने माता-पिता का भरण-पोषण करेगा, उनके साथ रहेगा और उन्हें अपने पोते-पोतियों से दूर नहीं करेगा। हालांकि, संपत्ति अपने नाम होते ही बेटे गुरुविंदर सिंह ने इन शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। उसने अपने माता-पिता से दूरी बना ली और उन्हें अपने पोते-पोतियों से भी मिलने नहीं दिया।
डीएम न्यायालय में त्वरित सुनवाई और न्याय का हथौड़ा
बेटे के इस कृत्य से त्रस्त बुजुर्ग दंपत्ति ने तहसील, थाना और अन्य निचली अदालतों में गुहार लगाई, लेकिन उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। अंततः उन्होंने जिलाधिकारी न्यायालय में वाद पंजीकृत कराया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संज्ञान लिया। जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में सुनवाई के दौरान, विपक्षी गुरुविंदर सिंह आदि को नोटिस जारी किया गया और सार्वजनिक सूचना भी प्रसारित की गई। इसके बावजूद, विपक्षी न तो न्यायालय में उपस्थित हुए और न ही उन्होंने कोई आपत्ति प्रस्तुत की।
इस पर त्वरित फैसला सुनाते हुए, जिलाधिकारी बंसल ने भरण-पोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए गिफ्ट डीड को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। उन्होंने पूर्ण 3080 वर्ग फीट संपत्ति को पुनः बुजुर्ग दंपत्ति परमजीत सिंह और अमरजीत कौर के नाम कर दिया।
आंखों में खुशी के आंसू: डीएम के फैसले से बुजुर्ग दंपत्ति को मिला सुकून
डीएम बंसल के इस ऐतिहासिक और न्यायपूर्ण फैसले से बुजुर्ग सरदार परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। संपत्ति पाने के बाद बेटे द्वारा माता-पिता को बेदखल करने और पोते-पोतियों से मिलने पर रोक लगाने का यह कृत्य बेटे को भारी पड़ गया। जिलाधिकारी ने स्पष्टीकरण और पर्याप्त अवसर देने के बावजूद आदेशों की नाफरमानी और माता-पिता के तिरस्कार को देखते हुए यह सख्त कदम उठाया।
यह मामला जिलाधिकारी सविन बंसल की उस प्रतिबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है जिसके तहत वे असहाय, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित जनमानस के हितों की रक्षा के लिए सक्रिय होकर त्वरित निर्णय लेते हैं। जिला प्रशासन सामाजिक कर्तव्य से विमुख लोगों को अपनी न्याय प्रणाली से रास्ता दिखा रहा है, वहीं जरूरतमंदों को त्वरित न्याय मिल रहा है।