– भूपेंद्र गुप्ता एक समय था जब देशभक्ति की मिसालें दी जाती थीं। आज हालात कुछ और हैं। पिछले 10 सालों में लगभग 15 लाख भारतीयों ने देश की नागरिकता त्याग दी है। इससे भी चिंताजनक है कि अमेरिका में शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या में 855% की वृद्धिContinue Reading

– संदीप सृजन विश्व के इतिहास में संस्कृत के मध्यकालीन रचनाकारों में प्रसिद्ध जैन आचार्य हेमचन्द्राचार्यजी का नाम विशेष महत्व रखता है। वे महापण्डित थे, काव्यशास्त्र के आचार्य थे, योगशास्त्र मर्मज्ञ थे और ‘कलिकालसर्वज्ञ’ जैसी महान उपाधि से अलंकृत थे। जैनधर्म और दर्शन के तो वे प्रकाण्ड विद्वान् थे हीContinue Reading

– कुमार कृष्णनकार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को जगद्धात्री पूजा होती है।माँ जगद्धात्री या जगधात्री यानि जगत् +धात्री अर्थात जगत की रक्षक वह देवी जो विश्व की रक्षक के रूप में पूजनीय हैं। यह पूजा खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उड़ीसा सहित अन्य राज्यों में की जातीContinue Reading

-कुमार कृष्णन पद्मभूषण शारदा सिन्हा का जाना, न सिर्फ बिहार-पूर्वांचल, बल्कि भारतीय लोक संगीत के एक युग का अंत है। ये उद्गार राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के हैं।दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ज़िन्दगी मौत के जंग में वे हार गयीं और सैप्टीसिमिया के कारण रिफैक्ट्ररी शाक के कारणContinue Reading

जब मैं जनता की आस्था के सागर में डूब जाती हूं- विजया भारती जब सूर्य के डूबने और उगने पर अर्ध्य देने का समय आता है, घाट पर खड़े होकर मैं महसूस करती हूं कि यह क्षण कितना विराट है। मुंबई में जुहू बीच पर छठ का बड़ा आयोजन संजयContinue Reading

– विवेक रंजन श्रीवास्तव आदिशक्ति मां दुर्गा भवानी के इक्यावन शक्ति पीठ यत्र तत्र फैले हुये हैं। मान्यता है कि भगवान शंकर को यज्ञ में निमंत्रित न करने के कारण सती देवी ने यज्ञ अग्नि में स्वयं की आहुति दे दी थी तो क्रुद्ध भगवान शंकर उनके शरीर को लेकरContinue Reading

– कुमार कृष्णन बिहार के मुंगेर का ऐतिहासिक माँ दशभुजी दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है। शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र में तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।भक्तों का मानना है कि देवी के मंदिर में जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति केContinue Reading

– हितानंद शर्मा मध्य भारत की सुनहरी भूमि पर स्थित कालिंजर के किले में चन्देल वंश में उत्पन्न महारानी दुर्गावती की शौर्य गाथा से पूरा भारत परिचित है। रानी दुर्गावती के शासनकाल में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष नामक चारों पुरुषार्थ विद्यमान थे और आकाश-वायु-अग्नि आदि पञ्चमहाभूत सन्तुलित होकर माताContinue Reading

-प्रसून्न लतांत पत्रकारिता पहले मूलतः कोई स्वतंत्र व्यवस्था नहीं थी, जैसी वह आज है। 17वीं और 18वीं शताब्दी की पत्रकारिता (जो खास तौर से यूरोप और अमेरिका में पनपी) या तो उद्योग-व्यापार-वाणिज्य आदि के सहायक के रूप में थी या उसका उद्देश्य अपने-अपने देशों या क्षेत्रों की राजनीति में मददContinue Reading

– विवेक रंजन श्रीवास्तव 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के साथ-साथ स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन है । जब दूसरे भारत पाकिस्तान युद्ध के समय हमें अपनी खाद्य जरूरतों के लिए अमेरिका का मुंह देखना पड़ा तो स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसानContinue Reading