सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़ो में शुमार श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के माईवाड़ा में महिला सन्यासियों का सन्यास दीक्षा का कार्यक्रम प्रारम्भ हो गई। सबसे पहले करीब दो सौ महिला नागा सन्यासियों की मुण्डन प्रक्रिया दुःखहरण हनुमान मन्दिर के निकट बिड़ला घाट पर प्रारम्भ हुई। गोपनीय तरीके से प्रारम्भ हुई इस प्रक्रिया के दौरान अखाड़े माईबाड़ा की पदाधिकारी मौजूद रही। जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि जी महाराज के संयोजन एवं अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज की देख रेख में प्रारम्भ हुई प्रक्रिया की शुरूआत महिला नागा सन्यासियों के मुण्डन प्रक्रिया से शुरू हुई। मुण्डन प्रक्रिया के बाद इन सभी को कोपीन,दण्ड व कमण्डल,धारण करने के बाद इन सन्यासियों के द्वारा गंगा स्नान कर स्वयं का जीते जी श्राद्व कर्म कर अपने सभी सगे सम्बन्धियों से हर प्रकार के सम्बन्ध खत्म कर दिये जायेगे। इसके बाद इन महिला नागा सन्यासियों के द्वारा धर्म ध्वजा के नीचे हवनयज्ञ में आहूतियाॅ डाली जायेगी।
अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़ा द्वारा हमेशा से मातृ शक्तियों का सम्मान किया जाता रहा है। महिलाओं को हमेशा बराबर का सम्मान देना सनातन संस्कृति रहा है। उन्होने कहा कि महिला नागा सन्यासिन्यों के लिए माईबाड़ा केवल जूना अखाड़े में ही है। उन्होने बताया कि ये सभी अखाडे के नियमों का पालन करते हुए सनातन धर्म को मजबूती देने का कार्य करेगी। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा माईबाड़ा की अन्र्तराष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमहंत आराधना गिरि एवं मंत्री सहज योगिनी माता शैलजा गिरि के साथ साथ पूर्व अध्यक्षा श्रीमहंत अन्नपूर्णा पुरी की देख रेख में सन्यास की दीक्षा प्रारम्भ हुई। बिड़ला घाट पर गोपनीय तरीके से शुरू हुई दीक्षित किये जाने के कार्यक्रम में अखाड़ं के सभी मढ़ियो यानि चार,सोलह,तेरह और चैदह से जुड़ी नवदीक्षित होने वाली महिला सन्यासी शामिल है। महिला सन्यासियों के मुंडन प्रक्रिया के बाद सभी नवदीक्षित महिला नागा सन्यासियों ने बिड़ला घाट पर गंगा स्नान किया गया। यहां गंगा स्नान से पहले संन्यासियों ने सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड, कंमडल धारण किया। इस दौरान पंडियों द्वारा सभी नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म संपन्न कराया गया। श्राद्व तपर्ण ब्राह्मण पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच किया। सभी नव दीक्षित महिला नागा सन्यासी सायकाल धर्म ध्वजा पर पहुचे,जहां पर विद्वान पण्डितों द्वारा बिरजा होम की प्रक्रिया हुई। महिला नागा की दीक्षा के संबंध में बताते हुए जूना अखाड़े की महिला अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आराधना गिरी ने बताया कि सन्यास दीक्षा में 5 संस्कार होते है जिसमे 5 गुरु बनाये जाते है जब कुम्भ पर्व पड़ता है तो वहां गंगा घाट पर मुंडन, पिण्डदान क्रियाक्रम होते है जिसके बाद रात्रि में धर्मध्वजा के पास जाकर ओम नमः शिवाय का जाप किया जाता जहाँ आचार्य महामंडलेश्वर विजया होम के बाद सन्यास दीक्षा देते है जिसके बाद उन्हें तन ढकने को पौने के मीटर कपड़ा दिया जाता है फिर सभी सन्यासिया गंगा में 108 डुबकियां लगाती है और फिर स्नान के बाद अग्नि वत्र धारण कर अपने आशीर्वाद लेती है। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा माईबाड़ा की अन्र्तराष्ट्रीय निर्माण मंत्री सहज योगिनी माता शैलजा गिरि के अनुसार महिलाओ की सन्यास दीक्षा का कार्यक्रम चल रहा है जहाँ सबसे पहले केश त्याग किया जाता है उसके बाद पिंड दान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सन्यास दीक्षा प्राप्त करने के बाद सन्यासी का सम्पूर्ण जीवन अपने अखाड़े ,सम्प्रदाय ओर अपने गुरु को समर्पित हो जाता है। पूर्व अध्यक्षा श्रीमहंत अन्नपूर्णा पुरी ने बताया कि कुम्भ मेला 2021 के इस विशेष संयोग पर महिलाओं को सन्यास की दीक्षा से दीक्षित किया जा रहा है। कहा कि मनुष्य का एक जन्म तो अपनी माता के गर्भ से होता है दूसरा गुरु से दीक्षा लेकर होता है। सन्यास दीक्षा के उपरांत आत्मा और परमात्मा के मिलन का अहसास होता है। इन महिला सन्यासियों के दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया गुरूवार को तड़के आचार्य पीठ द्वारा प्रेयस मंत्र दिये जाने के साथ ही पूर्ण होगी।