हरिद्वार का सबसे बड़ा महा घोटाला : ऊषा ब्रेको कंपनी और नगर निगम मे चल रहे वर्षों से घोटाले की पुनरावृति,वन विभाग की भूमि किराए पर लेकर नगर निगम ने ऊषा ब्रेको कंपनी को लीज पर कैसे दे दी ?

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नगर निगम बोर्ड की शनिवार को हुई बैठक में उषा ब्रेको की लीज को तीस साल बढाए जाने पर नगर के कई लोगों ने प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है,इसी मामले को लेकर पूर्व पालिकाध्यक्ष ने भी सवाल उठाया है। पूर्व पालिकाध्यक्ष एवं कांग्रेस के प्रदेश सचिव प्रदीप चैधरी ने आरोप लगाया है कि नगर निगम ने बिना प्रावधान तीस साल की लीज बढ़ाकर अपना बङा नुकसान किया है। जबकि नगर निगम को खुली बोली लगवाकर अपनी आय बढाने के बारे मे बिचार करना चाहिए था। परन्तु ऐसा नही किया गया। जबकि कई पार्षदो का भी यही मानना है कि अगर टेंडर प्रक्रिया से इसका आवंटन होता तो ये ही कम्पनी और अधिक शर्तो के साथ नगर निगम को कम से कम दस करोड रूपय अदा करती और साथ के साथ पूराना अटका 123 करोङ वकाया भी एक मुश्त नगर निगम को मिल सकता था। जिससे नगर निगम के साथ साथ निगम क्षेत्र का भी भला हो जाता। निगम संसाधनो की कमी से परेशान है। उसकी भरपाई भी हो जाती और जनता को सुविधाए भी मिलती। उन्होने कहा तीस वर्ष लीज बढाने की तो व्यवस्था अनुबंध मे है ही नही तो फिर यह कैसे सम्भव हुआ। इसलिए यह वृद्धि नियम विरुद्ध है। कम्पनी को हर दो साल मे किराया बढाने का अधिकार देना श्रद्धालूओ के साथ धोखा है। उन्होने आरोप लगाया कि इसमे कम्पनी की ओर से बङे लेन देन का खेल हुआ है। कई गुना किराया बढाने का अधिकार देना तर्क संगत नही है। उन्होंने बताया कि वह उषा ब्रेको से संबंधित सभी चीजो की जांच (सन 1998 से लेकर अब तक) प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कराए जाने की मांग भी करेंगे।