– राकेश अचल
भारतीय राजनीति में सत्ता के हस्तांतरण के अनेक रोचक उदाहरण हैं, लेकिन बिहार की श्रीमती राबडी देवी जैसा कोई नहीं।भारत में महिला मुख्यमंत्री होना बड़ी बात नहीं है लेकिन पति के उत्तराधिकारी के रूप में मुख्यमंत्री होना एक इतिहास है। भारत के राजनीतिक इतिहास में हमेशा अनूठा रचने वाले बिहार में 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्राद यादव को चारा घोटाला में सजा बतौर जेल जाना पड़ा तो उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती राबडी देवी को ही मुख्यमंत्री बना दिया था। अब यही हालात कमोवेश दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद बन रहे है। अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि यदि केजरीवाल को जमानत न मिली और यदि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना ही पड़ा तो श्रीमती सुनीता केजरीवाल को दिल्ली की राबडी देवी बनाया जा सकता है।
कहने को तो भारत की पहली मुख्यमंत्री श्रीमती सुचेता कृपलानी रह चुकी हैं ,उनके बाद देश के आधा दर्जन राज्यों में महिलाओं ने मुख्यमंत्री पद सम्हाला लेकिन राबडी देवी कोई दूसरा नहीं बन पाया। सुचेता जी 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही। उनके बाद ओडिशा में नंदिनी सत्पथी को एक साल के लिए (1972 -1973 )मुख्यमंत्री बनाया गया। उधर गोवा में श्रीमती शशिकला काकोदकर 1973 से 1979 तक मुख्यमंत्री रहीं। उनके पिता दयानद बंदोदकर भी मुख्यमंत्री रह चुके थे। असम में सैयद अनवरा तैमूर को कांग्रेस ने 1980 से 1981 की अवधि के लिए मुख्यमंत्री बनाया। तमिलनाडु में सुश्री जयललिता ने छह बार मुख्यमंत्री बनकर नया कीर्तिमान बनाया। हालांकि उनसे पहले श्रीमती जानकी रामचंद्रन भी एक महीने के लिए तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाई गयी थीं ।
उत्तर प्रदेश में बसपा की मायावती ने पांच बार मुख्यमंत्री बनकर जय ललिता का मुकाबला करने की कोशिश की। श्रीमती राजकुमार भट्टल भी 1996 से 1997 के बीच पंजाब की पहली मुख्यमत्री बनी। देश को पहली राबडी देवी 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री के रूप में मिलीं और वे 2005 तक मुख्यमंत्री रहीं। उन्हें ये पद अपने पति से उत्तराधिकार में मिला था। सुषमा स्वराज को भी १९९८ में तीन माह के लिए दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला,लेकिन दिल्ली को पूर्णकालिक महिला मुख्यमंत्री के रूप में श्रीमती शीला दीक्षित (1998 से 2013 )ही मिलीं। वे लगातार दो बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही।
श्रीमती शीला दीक्षित के बाद मप्र में 2003 में उमा भारती ,राजस्थान में वसुंधरा राजे और बंगाल में ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री का पद सम्हाला। जम्मू-कश्मीर में मेहबूबा मुफ़्ती और गुजरात में ये सौभाग्य श्रीमती आनंदी बेन पटेल को मिला। लेकिन इनमें से कोई भी राबडी देवी की तरह मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। कुछ सीधे अपने चेहरे के आधार पर चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बनीं और कुछ को राजनीतिक परिस्थितियों के तहत मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाया गया। मौजूदा समय में दिल्ली में एक बार फिर ऐसी परिस्थितियां बन रहीं हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के स्थान पर उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया जाये।
लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबडी देवी एकदम घरेलू महिला थी। उनकी शिक्षा भी सांकेतिक थीं। वे पहले कार्यकाल में तो गूंगी गुड़िया बनकर रहीं थीं ,लेकिन अरविंद केजरीवाल की पत्नी श्रीमती सुनीता केजरीवाल उच्च शिक्षित हैं। वे आईआरएस हैं। सुनीता को 20 साल से ज्यादा सिविल सर्विस का अनुभव है। सुनीता केजरीवाल ने जूलॉजी में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। वे 1993 बैच की आईआरएस अधिकारी हैं। सुनीता की पहली मुलाकात उस दौरान 1995 बैच के आईआरएस अधिकारी अरविंद केजरीवाल से भोपाल में हुई। दोनों ही एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में मिले , बाद में इसी मुलाकात की परिणति शादी में बदल गई।इसके बाद जब अरविंद केजरीवाल ने साल 2006 में आईआरएस के पद से इस्तीफा दिया था तब भी सुनीता सिविल सर्विस में रहीं। इस समय वे अपने पति की गैरमौजूदगी में अघोषित रूप से दिल्ली की सरकार चला रहीं हैं।
(विभूति फीचर्स)
राबड़ी देवी बनने की राह पर सुनीता केजरीवाल
(राकेश अचल -विभूति फीचर्स)
भारतीय राजनीति में सत्ता के हस्तांतरण के अनेक रोचक उदाहरण हैं, लेकिन बिहार की श्रीमती राबडी देवी जैसा कोई नहीं।भारत में महिला मुख्यमंत्री होना बड़ी बात नहीं है लेकिन पति के उत्तराधिकारी के रूप में मुख्यमंत्री होना एक इतिहास है। भारत के राजनीतिक इतिहास में हमेशा अनूठा रचने वाले बिहार में 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्राद यादव को चारा घोटाला में सजा बतौर जेल जाना पड़ा तो उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती राबडी देवी को ही मुख्यमंत्री बना दिया था। अब यही हालात कमोवेश दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बाद बन रहे है। अटकलें लगाईं जा रहीं हैं कि यदि केजरीवाल को जमानत न मिली और यदि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना ही पड़ा तो श्रीमती सुनीता केजरीवाल को दिल्ली की राबडी देवी बनाया जा सकता है।
कहने को तो भारत की पहली मुख्यमंत्री श्रीमती सुचेता कृपलानी रह चुकी हैं ,उनके बाद देश के आधा दर्जन राज्यों में महिलाओं ने मुख्यमंत्री पद सम्हाला लेकिन राबडी देवी कोई दूसरा नहीं बन पाया। सुचेता जी 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही। उनके बाद ओडिशा में नंदिनी सत्पथी को एक साल के लिए (1972 -1973 )मुख्यमंत्री बनाया गया। उधर गोवा में श्रीमती शशिकला काकोदकर 1973 से 1979 तक मुख्यमंत्री रहीं। उनके पिता दयानद बंदोदकर भी मुख्यमंत्री रह चुके थे। असम में सैयद अनवरा तैमूर को कांग्रेस ने 1980 से 1981 की अवधि के लिए मुख्यमंत्री बनाया। तमिलनाडु में सुश्री जयललिता ने छह बार मुख्यमंत्री बनकर नया कीर्तिमान बनाया। हालांकि उनसे पहले श्रीमती जानकी रामचंद्रन भी एक महीने के लिए तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाई गयी थीं ।
उत्तर प्रदेश में बसपा की मायावती ने पांच बार मुख्यमंत्री बनकर जय ललिता का मुकाबला करने की कोशिश की। श्रीमती राजकुमार भट्टल भी 1996 से 1997 के बीच पंजाब की पहली मुख्यमत्री बनी। देश को पहली राबडी देवी 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री के रूप में मिलीं और वे 2005 तक मुख्यमंत्री रहीं। उन्हें ये पद अपने पति से उत्तराधिकार में मिला था। सुषमा स्वराज को भी १९९८ में तीन माह के लिए दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला,लेकिन दिल्ली को पूर्णकालिक महिला मुख्यमंत्री के रूप में श्रीमती शीला दीक्षित (1998 से 2013 )ही मिलीं। वे लगातार दो बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही।
श्रीमती शीला दीक्षित के बाद मप्र में 2003 में उमा भारती ,राजस्थान में वसुंधरा राजे और बंगाल में ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री का पद सम्हाला। जम्मू-कश्मीर में मेहबूबा मुफ़्ती और गुजरात में ये सौभाग्य श्रीमती आनंदी बेन पटेल को मिला। लेकिन इनमें से कोई भी राबडी देवी की तरह मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। कुछ सीधे अपने चेहरे के आधार पर चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बनीं और कुछ को राजनीतिक परिस्थितियों के तहत मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाया गया। मौजूदा समय में दिल्ली में एक बार फिर ऐसी परिस्थितियां बन रहीं हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के स्थान पर उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया जाये।
लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबडी देवी एकदम घरेलू महिला थी। उनकी शिक्षा भी सांकेतिक थीं। वे पहले कार्यकाल में तो गूंगी गुड़िया बनकर रहीं थीं ,लेकिन अरविंद केजरीवाल की पत्नी श्रीमती सुनीता केजरीवाल उच्च शिक्षित हैं। वे आईआरएस हैं। सुनीता को 20 साल से ज्यादा सिविल सर्विस का अनुभव है। सुनीता केजरीवाल ने जूलॉजी में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। वे 1993 बैच की आईआरएस अधिकारी हैं। सुनीता की पहली मुलाकात उस दौरान 1995 बैच के आईआरएस अधिकारी अरविंद केजरीवाल से भोपाल में हुई। दोनों ही एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में मिले , बाद में इसी मुलाकात की परिणति शादी में बदल गई।इसके बाद जब अरविंद केजरीवाल ने साल 2006 में आईआरएस के पद से इस्तीफा दिया था तब भी सुनीता सिविल सर्विस में रहीं। इस समय वे अपने पति की गैरमौजूदगी में अघोषित रूप से दिल्ली की सरकार चला रहीं हैं।(विफी)