श्रीमद्भागवत कथा मृत्यु का भय समाप्त कर मोक्ष प्रदान करती है -स्वामी भास्करानंद

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हरिद्वार। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्कारानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अनवरत बहने वाली ज्ञान गंगा है। गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण और आयोजन दोनों ही परम कल्याणकारी हैं। कथा के प्रभाव से अधोगति में पड़े पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है। सप्त सरोवर मार्ग स्थित अखण्ड दयाधाम में गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट इंदौर की और से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवे दिन श्रद्धालु भक्तों को सुदामा चरित्र की कथा श्रवण कराते हुए स्वामी भास्करानंद ने बताया कि भगवान अपने भक्तों की पुकार पर दौड़े चले आते हैं और उनके सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं। सुदामा और कृष्ण परम मित्र थे। बेहद गरीबी में जीवन गुजार रहे सुदामा पत्नि के कहने पर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। सुदामा के आने का समाचार मिलने पर श्रीकृष्ण नंगे पैर दौड़े आए और मित्र सुदामा को गले लगा लिया। श्रीकृष्ण ने सुदामा को सिंहासन पर बैठाया और बिना कुछ मांगे ही उनके सभी दुखों को दूर कर उन्हें सर्वस्व अर्पण कर दिया। कथाव्यास स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मृत्यु का भय समाप्त कर मोक्ष प्रदान करती है। श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित का मृत्यु का भय दूर हुआ और मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसी प्रकार बुरे कर्मो के कारण अधोगति में पड़े धुंधकारी को श्रीमद्भागवत कथा के प्रभाव से बैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त हुआ। स्वामी ऋषि रामकृष्ण,स्वामी कृष्णानंद,स्वामी बिपनानंद,स्वामी नागेंद्र महाराज आदि संतों ने भी श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किए। ट्रस्टी प्रेम गोयल,विजय गोयल,श्याम अग्रवाल,पुरूषोत्तम अग्रवाल एवं पुष्पा  देवी,गायत्री वालिया तथा अमित वालिया ने संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।