धर्म-कर्म: सनातन वैदिक धर्म और संस्कृति का संरक्षण करने में मुख्यमंत्री ने लिया महत्वपूर्ण निर्णय-स्वामी चिदानंद

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ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन गंगा आरती में स्वामी चिदानन्द सरस्वती और बागेश्वर धाम सरकार, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री व नेपाल से आये अरूणानन्द स्वामी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल जुड़कर गंगाजी की आरती व पूज्य संतों का दर्शन व आशीर्वाद लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि चारों धामों की अस्मिता बनी रहे इसलिये मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में हिन्दू अध्ययन केंद्रों को खोलने का निर्णय लिया ताकि भारत की संस्कृति बची रहें। धार्मिक पुस्तकालय स्थापित कर सनातन वैदिक धर्म और संस्कृति का संरक्षण और प्रसार करने में महत्वपूर्ण निर्णय श्री धामी ने लिया। उत्तराखंड विधानसभा ने समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया, यह कानून लागू करने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बन गया। वर्तमान समय में उत्तराखंड़ पूरे विश्व को दिशा देने का कार्य कर रहा है।स्वामी जी ने एकमुखी होने का संदेश देते हुये कहा कि देवभक्ति अपनी अपनी करे परन्तु देशभक्ति सभी मिलकर करे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्वामी जी ने वर्ष 1997 मंे परमार्थ गंगा तट पर गंगा आरती का क्रम आरम्भ किया था तब ये यह अनवरत चल रहा हैं। अब यह गंगा आरती केवल भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के पर्यटन और तीर्थाटन के मानचित्र पर उत्कृष्ट स्थान रखती है। उत्तराखंड की यात्रा पर आने प्रत्येक पर्यटक इस दिव्य आरती में सहभाग करना चाहता है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने सनातन संस्कृति को पूरे विश्व में प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि मुझे आप सभी के बीच आकर पूज्य संतों का आशीर्वाद लेना था परन्तु व्यस्तता के कारण नहीं आ पाया।पूज्य संतों ने भारत की आध्यात्मिक पहचान को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का दायित्व अपने कंधों पर ले रखा हैं, संत सनातन संस्कृति के संरक्षक हैं। देवभूमि आगमन पर सभी संतों का स्वागत व अभिनन्दन है। व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति को प्रभु की शक्ति के साथ एकिकृत करने की दिव्य साधना आप करा रहे हैं। संतों ने देश की एकता व अखंडता को बनाये रखने के लिये विलक्षण कार्य किये हैं। वर्तमान समय में भारत का मानसम्मान पूरे विश्व में बढ़ रहा है। ऐसे दिव्य आयोजनों से भारत अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त कर सकेगा। देवभूमि की आध्यात्मिक शक्ति को बनाये रखने में हमने अनेक कार्य किये हैं जिसमें संतों का आशीर्वाद सदैव हमारे साथ रहा हैं।श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि उत्तराखंड के कंकड़-कंकड़ में शंकर विद्यमान हैं। यहां पर चारों ओर सनातन की गंूंज हैं। उत्तराखंड की संस्कृति ने भारत के गौरव को बढ़ाया है। माननीय मुख्यमंत्री जी का चारों धामों के प्रति संकल्प अद्भुत है। साधना के माध्यम से भारत का हर बालक विचारवान बनेगा। उन्होंने उत्तराखंड की समृद्वि और नशामुक्त युवा की गंगाजी के श्रीचरणों में प्रार्थना की। उन्होंने ब्रेन डिटाक्स पद्धति के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि जल्दी ही इस पद्धति को हम पूरे विश्व को सौंपने वाले हैं ताकि हर बच्चा विचारवान हो।स्वामी चिदानन्द सरस्वती, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री और अरूणानन्द स्वामी ने वर्चुवल रूप से रूद्राक्ष का पौधा मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी को भेंट किया।