संत मंडल आश्रम के परमाध्यक्ष राम मुनि महाराज कहते हैं कि सनातन धर्म में तुलसी का स्थान अत्यंत पवित्र है। इसे मात्र एक पौधा नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। तुलसी पूजन का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत गहरा है।
एरर्स* धार्मिक महत्व: तुलसी को भगवान विष्णु की परम प्रिय माना जाता है। तुलसी पत्र के बिना भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी पूजन से व्यक्ति के पाप कर्मों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
* आध्यात्मिक महत्व: तुलसी पूजन से घर और मन दोनों में सात्विक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी के पास बैठकर ध्यान करने से मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है। तुलसी का पौधा घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक वातावरण बनाता है।
* वैज्ञानिक महत्व: तुलसी में औषधीय गुण होते हैं। यह हवा को शुद्ध करती है और विभिन्न बीमारियों को दूर करने में सहायक है। तुलसी ऑक्सीजन का उत्सर्जन करती है और पर्यावरण को शुद्ध करती है। तुलसी का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जैसे कि सर्दी-खांसी, बुखार, और पाचन समस्याएं।
हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) के दिन तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है। यह विवाह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तुलसी पूजन सनातन धर्म में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सुख-समृद्धि का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक परंपराओं को सजीव करता है, बल्कि प्रकृति और स्वास्थ्य के प्रति हमारी कृतज्ञता भी दर्शाता है। तुलसी पूजन से व्यक्ति का जीवन पवित्र, शांत और समृद्ध होता है।