ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित मासिक श्रीराम कथा अब केवल आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत नहीं, बल्कि एक सशक्त नशामुक्ति अभियान का माध्यम भी बन गई है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ‘स्वास्थ्य है संकल्प, नशा नहीं विकल्प’ के संदेश के साथ युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक किया।
स्वामी जी ने बताया कि श्रीराम कथा आत्मिक बल, सामाजिक बदलाव और संस्कारों की पुनर्स्थापना का दिव्य माध्यम है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारा युवा वर्ग तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और शराब जैसे आत्म-विनाशकारी नशों की चपेट में आ रहा है। ऐसे में श्रीराम कथा जैसे आध्यात्मिक आयोजन जीवन का सच्चा नशा बन सकते हैं, जो व्यक्ति को आत्मिक रूप से समृद्ध बनाते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने तंबाकू को एक ‘मूक हत्यारा’ बताते हुए कहा कि यह धीमा जहर हर साल लाखों जिंदगियां लील रहा है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि दुनियाभर में हर साल लगभग 80 लाख लोग तंबाकू के कारण काल का ग्रास बनते हैं, जिनमें से 13 लाख मौतें भारत में होती हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं, बल्कि टूटते घरों और सपनों की चीखें हैं।
स्वामी जी ने जोर देकर कहा कि “जो नशा एक पल की खुशी देकर जीवन के सालों को निगल जाए, वो कोई विकल्प नहीं, केवल विनाश है।” उन्होंने युवाओं से जीवन की हर सांस को अनमोल मानते हुए जागने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि एक सिगरेट औसतन जिंदगी के 11 मिनट कम कर देती है, और 20 सिगरेट वाली एक डिब्बी लगभग 3.6 घंटे की जिंदगी घटाती है। तंबाकू सेवन करने वालों की औसतन उम्र 10 साल कम हो जाती है, और एक बीड़ी भी 5 से 10 मिनट तक आयु घटा सकती है।
स्वामी जी ने गुटके के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि इसमें तंबाकू, सुपारी, कत्था, सिंथेटिक फ्लेवर और कैंसरकारी रसायन होते हैं जो सीधे मुंह, गले और फेफड़ों पर हमला करते हैं। उन्होंने कहा, “गुटका केवल दांत और गाल नहीं खाता, ये आत्मा को भी चबा जाता है।” यह वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित तथ्य है।
2025-05-31