उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं ने भू कानून में बदलाव कर सख्ती से लागू करने समेत कई जनहित के मामलों को लेकर विधानसभा कूच किया रास्ते में पुलिस ने रिस्पना पुल के पास बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया इस पर कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों में तीखी झड़प हुई ,धक्का-मुक्की में कुछ कार्यकर्ता घायल भी हुए। नाराज कार्यकर्ता वहीं धरने पर बैठ गए। धरना स्थल पर ही उप जिलाधिकारी के पहुंचने पर उन्हें मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन सौंपा।
बैरिकेडिंग पर धरने के दौरान काशी सिंह एरी ने कहा कि संघर्ष और शहादत की बदौलत पृथक राज्य का निर्माण हुआ, लेकिन 21 साल बीत जाने पर भी प्रदेश को भूमाफिया से नहीं बचाया जा सका। राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का खुलेआम दोहन हो रहा है। बेरोजगारों के साथ छलावा किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि राज्य की अवधारणा को बचाने के लिए सख्त भू-कानून लागू किया जाए, जिससे प्रदेश की जमीनों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 1950 को आधार मान मूलनिवास की परिभाषा निर्धारित की जाए। सरकार बेरोजगारी को लेकर श्वेत पत्र जारी करे। राज्य आंदोलनकारियों के लिए दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की सुविधा बहाल करने, रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, संविदा कर्मियों व उपनल कर्मियों का नियमितिकरण करने, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करने, पर्यटन व तीर्थाटन के लिए स्पष्ट नीति बनाने, देवस्थानम बोर्ड को भंग करने, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं का मानदेय बढ़ाने, डीएलएड व बीएड प्रशिक्षितों को स्थाई किया जाए।
इस अवसर पर दल के संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार, बीडी रतूड़ी, हरीश पाठक, सुरेंद्र कुकरेती, शिवानंद चमोली, ओमी उनियाल, डीजी जोशी, मोहन काला, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश, बहादुर रावत, देवेंद्र चमोली, शकुंतला रावत, मीनाक्षी घिल्डियाल, किरन रावत, सरला खंडूड़ी आदि मौजूद थे।