भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट ऑमीक्रोन जेएन-1
के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधानः आचार्य बालकृष्ण

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चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से मंगाया गया ऑमीक्रोन जेएन-1का स्पाइक प्रोटीन

हरिद्वार। बीते कोरोना काल में जहाँ संम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा हुआ था,वहीं पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने सतत् अनुसंधान से कोरोनिल का अविष्कार कर कोरोना के क्रूर पंजो से हजारों जीवन बचाये थे तथा मानव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के इतिहास में आयुर्वेद का परचम लहराया था। अब कोरोना के नये वैरिएंट पर अनुसंधान करने हेतु चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से स्पाइक प्रोटीन मंगाया गया है, जिस पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक रिसर्च करेगें। वर्तमान में कोरोना का नया वैरिएंट ऑमीक्रोन जेएन-1 पुनः सम्पूर्ण विश्व में अपने पैर पसार रहा है। कोरोना चिकित्सा के क्षेत्र में अपने अनुसंधान कार्यों को आगे बढ़ाने के क्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से मंगाये गये स्पाइक प्रोटीन पर नवीन अनुसंधान कार्य आरम्भ कर दिया गया है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जिस तरह से कोरोना ने भयावह तथा विकराल रूप से सम्पूर्ण विश्व को भयभीत किया तथा अत्यधिक पीड़ा पहुँचायी अब उसी का नया वैरिएंट ऑमीक्रोन जेएन-1 देश-विदेश में फैल रहा है। इस वायरस से होने वाले रोग की चिकित्सा हेतु जो अनुसंधान करना है उसके लिए वायरस के स्पाइक प्रोटीन की आवश्यकता होती है और हमें गर्व है कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान वह पहली संस्था है जहाँ ऑमीक्रोन जेएन-1 वायरस का स्पाइक प्रोटीन चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से पहुंच चुका है। यह वायरस बहुत खतरनाक है परन्तु उसकी स्पाइक प्रोटीन पर कार्य करके ही उसका समाधान पाया जा सकता है। सबसे अधिक प्रयास स्पाइक प्रोटीन को बचाने का करना पड़ता है क्योंकि यह बहुत दूर चीन से मंगाया गया है। इसे मंगाने के लिए हमें काफी परिश्रम और सम्पर्क करना पड़ा बहुत सारी जटिल प्रक्रियाएं पूर्ण करने के उपरांत लगभग डेढ़ माह बाद यह स्पाइक प्रोटीन हमें मिल पाया है जो हमारे वैज्ञानिकों को काफी उत्साह और प्रेरणा देने वाला है। इस ओमीक्रॉन जेएन-1 वायरस का स्पाइक प्रोटीन पर अनुसंधान कर हम सम्पूर्ण विश्व को पुनः यह दिखायेंगे कि पतंजलि किस प्रकार से आयुर्वेदिक औषधियों पर अनुसंधान कर उनका निर्माण करता है तथा मॉडर्न मेडिकल सांइस के जो स्टैण्डर्ड तथा पैरामीटर्स है उन पर योग व आयुर्वेद को पुनः स्थापित करने का कार्य पतंजलि कर रहा है। हमारे पास विश्व के आधुनिकतम अनुसंधान लैब,उपकरण तथा एक्सपर्ट सांइटिस्ट की टीम उपलब्ध है। पतंजलि एक विश्वास का नाम है तथा करोड़ो लोगों का भरोसा पतंजलि के साथ जुड़ा हुआ है। पतंजलि वैज्ञानिक अनुसंधान तथा उसके उच्च स्तरीय मापदण्डों के साथ कोई समझौता नहीं करता। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि ओमीक्रॉन जेएन-1 वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर कोरोनिल के इस्तेमाल से इन्फेक्शन कन्ट्रोल का ट्रॉयल किया जायेगा,जिसके परिणाम वायरस कन्ट्रोल के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करेंगे।
अपार साहस,त्याग और वीरता के प्रतीक गुरु गोबिन्द सिंह का जीवन सबके लिए अनुकरणीय- आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। सिक्ख धर्म के 10वें एवं अन्तिम गुरु संत सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी की 357वीं जयंती को पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘गुरु कृतज्ञता पर्व‘ के रूप में मनाया गया। पर्व का शुभारम्भ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ तथा गणमान्य विद्वानों एवं अतिथियों द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये। सर्वप्रथम उनके साहसी जीवन, शिक्षण व संस्कृति संरक्षण सहित उनके पावन योगदानों पर आधारित एक डोक्यूमेंट्री प्रस्तुत की गई जिससे उपस्थित प्रतिभगियों का ज्ञानवर्धन हुआ। इस अवसर पर वि.वि.के कुलपति आचार्य बालकृष्ण का भी मार्गदर्शन व आशीर्वचन प्राप्त हुआ। उन्होंने जीवन में श्रेष्ठ गुरु की महत्ता पर उद्बोधन देते हुए स्वामी जी के अखण्ड तप व पुरुषार्थ की चर्चा की एवं गुरु गोबिन्द सिंह जी के पावन शिक्षाओं को जीवन में धारण करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने बताया कि सृजन प्रतिकूलताओं में भी हो सकता है और इसे जीवंत करके गुरु गोबिन्द सिंह जी ने दिखाया और समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गये जिन्हें युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा। कुलपति ने नवीन सत्र से गुरु गोबिन्द सिंह जी के जीवन पर शोध कार्य प्रारम्भ करने एवं संबंधित शोधार्थी को छात्रवृत्ति प्रदान करने की घोषणा भी की। वि.वि. के प्रति-कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने कहा कि जहां ब्रह्म एवं क्षत्र का मधुर समन्वय होता है वहीं शास्त्र सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने साहस के प्रतीक गुरु गोबिन्द सिंह जी को वीरता की पराकाष्ठा एवं वैदुष्य का प्रतीक बताया। वि.वि. में स्थित गुरु गोबिन्द सिंह चेयर के अध्यक्ष पूर्व कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिक प्रो.जे.एस.सन्धु ने गुरु का संदेश सबसे साझा किया। उन्होंने साहित्य रचना,संस्कृति रक्षा,जीवन दर्शन,युद्ध कौशल, शहादत सहित उनके जीवन के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.एन.पी.सिंह ने साहस के प्रतिमान गुरु के जीवन का यशोगान करते हुए सिख धर्म की विशेषताओं पर विमर्श किया तथा सिक्ख पंथ को भारत की सनातन वेदान्त परम्परा पर आधारित एक दर्शन बताया। इस अवसर पर रेशमी शहर भागलपुर,बिहार के कवि प्रफुल्ल चंद्र कुंवर‘बागी’द्वारा विरचित स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को समर्पित दो काव्य कृतियों- ‘अथ योगानुशासनम ’एवं‘आयुष का ध्रूवताराः पतंजलि हमारा का लोकार्पण गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया। संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा गुरुवाणी एवं भजन की प्रस्तुति भी दी गई। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. आरती पाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर साध्वी डॉ.देवप्रिया,प्रो.वी.के.कटियार,डॉ.मनोज कुमार पटैरिया,मंयक अग्रवाल,स्वामी आर्षदेव,डॉ.निर्विकार ,डॉ.रोमेश शर्मा, डॉ.बिपिन दुबे,डॉ.विनय शर्मा,गिरिजेश मिश्र सहित विभिन्न विभागों एवं संकायों के अध्यक्ष ,आचार्यगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।