प्रभारी प्राचार्य की गिरफ्तारी के विरोध में छात्रों का धरना-प्रदर्शन जारी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रभारी प्राचार्य की जमानत याचिका खारिज की

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भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डा. निरंजन मिश्र की गिरफ्तारी के विरोध में महाविद्यालय परिसर के बाहर धरना प्रदर्शन जारी रहा। धरने के समर्थन में अखण्ड परशुराम अखाड़ा ने सिंहद्वार से धरना स्थल तक रैली निकाली। अखण्ड परशुराम अखाड़ा के जिलाध्यक्ष अंकित शर्मा ने अखाड़े के सदस्यों के साथ मिलकर छात्रों का समर्थन कर कहा कि डा. निरंजन मिश्र की षड्यंत्रात्मक गिरफ्तारी निंदनीय है। मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि प्राचार्य की गिरफ्तारी में जो लोग भी संलिप्त है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। धरने को समर्थन देने आए एनएसयूआई के जिला महासचिव गौरव शर्मा ने कहा कि प्राचार्य को बिना जांच के गिरफ्तार किया जाना निंदनीय है। एनएसयूआई छात्रों की मांग का पूर्ण समर्थन करती है। बिहार सांस्कृतिक परिषद, बीएचईएल रानीपुर के पूर्व सचिव योगेंद्र पाण्डेय ने कहा कि प्राचार्य विद्वान, कर्मनिष्ठ, सरल स्वभाव, ईमानदार व्यक्तित्व के धनी हैं। षडयंत्र के तहत इन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजना निंदनीय है। धरने स्थल पर मोहन भंडारी, उत्कर्ष वालिया, गौरव शर्मा, वसीम सलमानी, यगिक वर्मा, देवेश पंत, दीपक पांडे, गौरव, अंकित पंडित, आकाश चैधरी, ऋषभ महेंद्रु, मोनू राठी, आशु मलिक, मयंक राठौड़ आदि शामिल रहे।

*फर्जी दस्तावेज के जरिये षडयंत्र के आरोपी प्रभारी प्राचार्य की जमानत याचिका खारिज*

श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय पर फर्जी दस्तावेज तैयार करने व षडयंत्र रचने के मामले में आरोपी प्रभारी प्राचार्य की जमानत याचिका प्रभारी सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने खारिज कर दी है। बीते दिनों पुलिस ने आरोपी प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्र को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया था। शासकीय अधिवक्ता इंद्रपाल बेदी एवं वादी के अधिवक्ता सतीश दत्त शर्मा ने बताया कि 14 जून 2019 को प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के स्वामी रुपेंद्र प्रकाश ने कोतवाली ज्वालापुर में एक शिकायत देकर बताया था कि 17 नवंबर 1965 को संस्कृत साहित्य की विभिन्न शाखाओं की शिक्षा देने, सामाजिक सेवा व धर्म प्रचार आदि के लिए श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना हुई थी। जिसमें गुरुचरण दास, गोविन्द प्रकाश,स्वामी हंस प्रकाश, लाला भगवानदास कत्याल, हरेन्द्र कुमार कत्याल, नरसिंह दास सोन्धी व फूल स्याल को पदाधिकारी व सदस्य मनोनीत किया गया था। प्रबंधक कार्यकारिणी वर्ष 1965 से लेकर 1985 तक सुचारु रुप से कार्य करते हुए संचालन करती रही है। आरोप है कि आरोपी विनय बगाई, प्रोफेसर महावीर अग्रवाल,अजय चोपडा,डा.अरविन्द नारायण मिश्र, डा.शैलेन्द्र कुमार तिवारी व डा. भोला झा आदि ने आपस में षडयंत्र रचकर वर्ष 1985 से वर्ष 2018 तक महाविद्यालय की समिति के संविधान के विरुद्ध बिना किसी विधिक कार्यवाही के पदाधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर समिति को बदल दिया। आरोपियो ने षड्यंत्र रचकर व दस्तावेज में फर्जी तरीके से कूट रचना कर संस्था पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी आरोपियों पर इससे अनैतिक लाभ प्राप्त करने के लिए संस्था को राज्य व केन्द्र सरकार से अनुदान प्राप्त करने के लिए पंजीकृत कराकर धन प्राप्त करने का आरोप लगाया था। केस के जांच अधिकारी नंदकिशोर ग्वाड़ी ने विवेचना के दौरान महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्रा पुत्र स्व. सुखदेव मिश्र निवासी कनखल हरिद्वार को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था। सोमवार को अवर न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी प्राचार्य की जमानत याचिका निरस्त कर चुके हैं। मामले की सुनवाई करने के बाद प्रभारी सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडेय ने आरोपी प्रभारी प्राचार्य निरंजन मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी है।