ताजा खबर: शराब कांड मामले मे पथरी थानाध्यक्ष सहित चार पुलिसकर्मी संस्पेड,तीन सदस्यीय एसआईटी गठित

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हरिद्वार। फूलगढ़ शराब कांड को लेकर डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश के बाद डीआईजी-एसएसपी डॉ योगेंद्र सिंह रावत ने एसओ पथरी रविंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। वहीं, इस मामले की जांच को लेकर एसआईटी गठित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। उधर, आबकारी महकमे के लक्सर सर्किल पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। शनिवार को फूलगढ़ शराब कांड की गूंज देहरादून तक हुई। डीजीपी अशोक कुमार ने मीडिया के समक्ष जहां पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। वहीं प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आने के बाद एसओ पथरी रविंद्र सिंह को निलंबित करने के निर्देश दिए। डीजीपी ने मामले की जांच एसआईटी से भी कराए जाने की बात कही, जिसके बाद डीआईजी-एसएसपी डॉ योगेंद्र सिंह रावत ने एसओ को निलंबित कर दिया। डीआईजी ने बताया कि एसआईटी भी गठित की जा रही है। एसआईटी के चयन को लेकर मंथन चल रहा है। उधर, आबकारी महकमे में लक्सर सर्किल में तैनात निरीक्षक से लेकर निचले स्टॉफ पर भी गाज गिरने की पूरी उम्मीद है।

अवैध शराब से मौत के बाद आबकारी विभाग की कार्यशैली पर फिर उठे सवाल,

हरिद्वार। हरिद्वार में एक बार फिर अवैध शराब से हुई मौत ने एक बार आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है। सवाल आबकारी के प्रवर्तन विभाग का पर सबसे अधिक खड़े हो रहे है। जो जिले में अवैध शराब की बिक्री पर लगाम लगाने में एक तरह से नाकाम ही साबित हुई शायद यही वजह है कि हरिद्वार में अवैध शराब ने मौत का तांडव मचा दिया और चार लोगों का जीवन लीला समाप्त करदी। इससे पहले भी 2019 में झबरेड़ा-भगवानपुर में अवैध शराब मौत का तांडव मचा चुकी है जिसमे करीब 39 लोगों की जान चली गई थी। जिसके कुछ दिनों बाद ही 2019 में देहरादून में भी अवैध शराब लोगों के जीवन पर हावी हो गई थी जिसमे 9 लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ा था।

प्रवर्तन विभाग पर बड़ा सवालिया निशान

दरअसल जिले में अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए प्रवर्तन विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है लेकिन शराब कांड के ये बड़े मामले और शहर से लेकर गांव तक हर गली नुक्कड़ में बिकती अवैध शराब प्रवर्तन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। मजे की बात देखिए पथरी थाना क्षेत्र के फूलपुर में हुई आज की घटना से कुछ दिन पहले ही विभाग द्वारा छापेमारी की गई थी। जिला आबकारी अधिकारी अशोक मिश्रा बताते है कि कुछ दिन पहले ही उस इलाके में छापेमारी कीगई थी और मुकदमा भी दर्ज किया गया था। साल भर में प्रवर्तन विभाग ने अवैध शराब को लेकर कितनी छापेमारी किस बाबत मिश्रा जी के पास कोई आंकड़ा मौजूद नही था। प्रवर्तन अधिकारी से फोन पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन रिसीव नही हुआ। इतनी बड़ी घटना के बाद प्रवर्तन अधिकारी की गंभीरता को दर्शाता है।