धर्म-कर्म: संतो ने किया शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का भव्य स्वागत

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युवाओं को धर्म-संस्कृति के प्रति जागरूक करेंगे- स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती

हरिद्वार। ज्योतिष पीठ के नवनियुक्त शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज के हरिद्वार पहुंचने पर भारत साधु समाज, षड़दर्शन साधु समाज, अखाड़ों के संत महंतों, व्यापार मण्डल व विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने पुष्पवर्षा कर और फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया।कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में स्वागत के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने संतों व श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि बद्रीनाथ धाम के कपाट ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य द्वारा बंद कराने की परंपरा रही है। इसी परंपरा का पालन करने के लिए वे बद्रीनाथ जाने के लिए आए हैं। कपाट बंद करने के दौरान भगवान बद्रीनाथ को धृत कंबल ओढ़ाने की परंपरा भी है। इसके लिए वे गाय का शुद्ध घी भी अपने साथ लेकर आएं हैं। परंपरांओं को फिर से जीवंत किया जाएगा। युवाओं को धर्म संस्कृति के प्रति जागरूक किया जाएगा। शंकराचार्य परिषद द्वारा उठाए जा रहे सवालों को लेकर उन्होंने कहा कि शंकराचार्य परिषद में कोई शंकराचार्य नहीं है। परिषद और कुछ लोगों द्वारा केवल विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। शंकराचार्य पद पर उनका चयन पूरी तरह सही है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि जौली ग्रांट एयरपोर्ट का नामकरण आद्य गुरू शंकराचार्य के नाम पर किया जाना चाहिए। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में इस मांग को फिर से पुरजोर तरीके से रखा जाएगा। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का स्वागत करते हुए चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए धर्म संस्कृति का उत्थान करेंगे। बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि शंकराचार्य पद को विवाद का विषय बनाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म और समाज पर होने वाले कुठाराघात को रोकने के लिए सामंजस्य, एकजुटता और भाईचारे के साथ संत समाज को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि मातृसदन की अुगवाई में शुद्धिकरण अभियान चलाया जाएगा। परंपरांओं को बचाने के लिए शुद्धिकरण अभियान आवश्यक है। पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती धर्म सस्ंकृति के मूर्धन्य विद्वान हैं। लगातार समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनके शंकराचार्य पद पर विराजमान होने से सनातन धर्म का गौरव बढ़ा है। वे स्वयं ज्योतिष पीठ के ब्रह्मचारी हैं और हमेशा शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के साथ रहेेगे। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कारोबारी महंत गोविंददास महाराज ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरांओं को आगे बढ़ाएंगे। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानन्द ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि हर्ष का विषय है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज जैसे योग्यतम संत को योग्यतम पीठ पर बैठाया गया है। सत्य का उदय होने पर आसुरी शक्तियां हुकार भरती हैं। लेकिन विजय हमेशा सत्य की ही होती है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज ने गंगा व धर्म संस्कृति के लिए आंदोलन किए। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति जागरण करना होगा। अखाड़े शंकराचार्य के अधीन हैं। स्वामी हरिहरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने देश को एकता के सूत्र में बांधा। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की परंपरांओं को आगे बढ़ाते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के नेतृत्व में संस्कृति,संस्कृत का प्रचार प्रसार तथा धर्म का संरक्षण होगा। इस अवसर पर स्वामी कपिलमुनि, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण,स्वामी श्रवण मुनि, महंत कामेश्वर पुरी,महंत सुतिक्ष्ण मुनि,स्वामी मुक्तानंद,महंत दुर्गादास,स्वामी रामानंद ब्रह्मचारी,महंत शुभम गिरी,महंत निर्मल दास,महंत अमनदीप,स्वामी दिनेश दास,कोठारी महंत जसविन्दर सिंह,शैलेंद्र त्रिपाठी,प्रवीण चावला,सचिन गौतम सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

भारत साधू समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

हरिद्वार। भारत साधु समाज ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अविमुक्तेश्वरानंद के नाम की मंगलवार को घोषणा कर दी। जल्द ही अविमुक्तेश्वरानंद को साधु समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा। हालांकि अविमुक्तेश्वरानंद ने इससे पहले एक बैठक करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि पहले संत आपस में फैसला कर लें उसके बाद ही वह इस पद को स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा कि क्योंकि उनको किसी भी पद की कोई अभिलाषा नहीं है। मालूम हो कि इससे पहले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती भारत साधु समाज के अध्यक्ष रहे हैं। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के हरिद्वार कनखल स्थित शंकराचार्य मठ पहुंचने पर भारत साधु समाज के प्रवक्ता स्वामी ऋषिश्वरानंद के सानिध्य में संत समाज ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान संतों ने उन्हें फूल माला पहनाकर उनकी आरती उतारी और दीर्घायु की कामना की।