भगवान् प्राप्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करें-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार जुर्स कंट्री द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि शुकदेव मुनि वेदव्यास के पुत्र थे। एक कथा के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण व राधा के अवतार के समय ये राधा के साथ खेलने वाले लीला शुक थे। शास्त्री ने बताया कि जब भगवान शिव अमर कथा सुना रहे थे तो माता पार्वती को नींद आ गई। वही पर कथा के प्रभाव से एक फूटे हुए अण्डे में तोता प्रकट होकर ओम ओम कहने लगा। जब भगवान शंकर ने देखा कि मेरी अमर कथा चोरी हो गई है, तो वे उसे पकड़ने भागे। यह देख बालक शुक व्यास के आश्रम में पहुंचकर सूक्ष्म रूप से उनकी पत्नी के मुंह में समा गया। मान्यता है कि यही शुक फिर व्यास के पुत्र के रुप में प्रकट हुए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गर्भ में ही इन्हे वेद, उपनिषद, दर्शन, पुराण आदि का ज्ञान हो गया था। लेकिन माया के डर से वे 12 वर्ष तक गर्भ में ही छिपे रहे। भगवान श्रीकृष्ण से माया के प्रभाव से मुक्त रहने का आश्वासन मिलने पर ही वे मां के गर्भ से बाहर आए और जब राजा परीक्षित को समिक मुनी के पुत्र श्रृंगी ऋषि का श्राप मिला। तब शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया। जिससे राजा परीक्षित को भगवत की प्राप्ति हुई। शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य को भगवत प्राप्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। अभिमन्यु दुर्गा, नमिता दुर्गा,त्रिलोकी नाथ शर्मा,गीता शर्मा,अंजू ओबरॉय,राज ओबरॉय,संगीता मदान,पंकज मदान ,पूनम कुमार,किरण खुराना,पूनम सैनी,मधु चुग,शीतल सिडाना,योगिता मित्तल,रिंकू खुराना, प्रीति खुराना,आरती माटा,श्रेष्ठा कुमार आदि ने भागवत पूजन किया।