देहरादून: स्वामी राम विश्वविद्यालय, जॉली ग्रांट में प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज शुभारंभ हुआ। इस सम्मेलन में देश-विदेश के 200 से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए।
प्राचीन ज्ञान की ओर लौटने की आवश्यकता: सम्मेलन के मुख्य अतिथि, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को भूल गए हैं और अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान में छिपा है। उन्होंने योग को व्यापार बनाने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि योग और ध्यान को डर का विषय नहीं बनाना चाहिए।
योग सभी बीमारियों का निदान: स्वामी डॉ. दयाधीपानंद महाराज ने कहा कि योग सभी बीमारियों का निदान है और हमें इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। एम्स ऋषिकेश की निदेशक डॉ. मीनू सिंह ने गीता के कर्म योग और राज योग के महत्व पर प्रकाश डाला।
स्वामी राम की विरासत: विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र डोभाल ने भारत के प्राचीन अध्यात्म ज्ञान की समृद्धि पर जोर दिया। विश्वविद्यालय के अकादमी एवं विकास केंद्र के महानिदेशक डॉ. विजयेंद्र डी चौहान ने स्वामी राम को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमें अध्यात्मिक शक्ति का आभास कराया था।
संस्कृति और भाषा को अपनाएं: सम्मेलन के मुख्य आयोजक डॉ. दीपक गोयल ने कहा कि जो देश अपनी संस्कृति और भाषा को भूल जाता है, वह कभी तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने युवा पीढ़ी से अपनी संस्कृति और भाषा को अपनाने की अपील की।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का योगदान: सम्मेलन में अमेरिका से आए डॉ. जॉन क्लार्क ने भारतीय आध्यात्मिक विज्ञान के माध्यम से न्यूरो से पीड़ित मरीजों को ठीक करने की विधि बताई। नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष प्रोफेसर बीएन गंगाधर ने वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन को संबोधित किया।
समापन समारोह: सम्मेलन का समापन समारोह कल स्वामी राम की तपस्थली साधक ग्राम ऋषिकेश में होगा।
* प्राचीन भारतीय अध्यात्म ज्ञान और वर्तमान तंत्रिका विज्ञान पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
* स्वामी राम विश्वविद्यालय, जॉली ग्रांट में आयोजित
* 200 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया
* प्राचीन ज्ञान की ओर लौटने, योग के महत्व और संस्कृति को अपनाने पर जोर दिया गया।