हरिद्वार: (नेगी) हरिद्वार में बनी दवाएं मानकों पर खरा नहीं उतर रही हैं। ये चौंकाने वाला खुलासा राज्य और केंद्र सरकार के दवा नियंत्रण विभागों की ताजा रिपोर्ट में हुआ है।
पूरे देश में 90 दवाओं के नमूने फेल हुए हैं, जिनमें से 11 दवाएं उत्तराखंड में बनी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 9 दवाएं हरिद्वार में बनी हैं, जबकि 1 देहरादून और 1 ऊधमसिंह नगर की दवा कंपनी में बनी है।
इन दवाओं में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और संक्रमण रोधी दवाएं शामिल हैं। और भी चिंताजनक बात ये है कि हरिद्वार की एक ही कंपनी की 4 दवाएं फेल हुई हैं।
पिछले कुछ महीनों से लाइफ मैक्स कैंसर लैबोरेट्रीज की दवाएं लगातार फेल हो रही हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि इस गंभीर मुद्दे पर अधिकारी कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं हैं। जब इस बारे में हरिद्वार की ड्रग्स इंस्पेक्टर और उत्तराखंड ड्रग्स कंट्रोलर से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन तक नहीं उठाया।
फेल हुई दवाओं की सूची में पैरासिटामोल, कैल्शियम, ग्लिमेपिराइड, टेलमिसार्टन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, मेट्रोनिडाजोल, रेसेकाडोट्रिल और ऑफ्लोक्सासिन जैसी दवाएं शामिल हैं।
हरिद्वार में इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों में लाइफ मैक्स कैंसर लैबोरेट्रीज, रिवप्र फॉर्मूलेशन, बजाज फॉर्मूलेशन, सियान हेल्थकेयर, सेंट माइकल बायोटेक और यूनिकोड इंडिया शामिल हैं।
ये खुलासा राज्य के लोगों के लिए बेहद चिंताजनक है। क्योंकि ये दवाएं लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
सवाल उठता है कि आखिर क्यों इन कंपनियों को मानक के अनुरूप दवाएं बनाने की अनुमति दी जा रही है? और क्यों अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं?
इस मामले में सरकार को तुरंत कदम उठाना चाहिए और दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए एक मजबूत तंत्र बनाना चाहिए।
2024-12-13