AI का बढ़ता प्रभुत्व: मानवीय बुद्धि खतरे में? -डॉ मनोज श्रीवास्तव

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता प्रभुत्व चिंता का विषय बनता जा रहा है। एक हालिया विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि AI न केवल प्राकृतिक मानवीय बुद्धि को चुनौती दे रहा है, बल्कि धीरे-धीरे उस पर अपना नियंत्रण स्थापित करता जा रहा है। इसके चलते हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा मशीनीकृत होता जा रहा है, जिससे स्वाभाविक मानवीय संवेदनाओं के लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
लेखक का मानना है कि मनुष्य, जिसने अपनी प्राकृतिक बुद्धि के आधार पर अनगिनत आविष्कार किए, आज स्वयं ही एक ऐसे आविष्कार (AI) के सामने खड़ा है जो उसकी मौलिक बुद्धि को ही चुनौती दे रहा है। यह चिंताजनक है कि कहीं मनुष्य AI का स्वामी बनने के बजाय उसका गुलाम न बन जाए।
विश्लेषण में इस बात पर जोर दिया गया है कि AI का अत्यधिक उपयोग हमारी सृजनशीलता और संवेदनशीलता जैसे महत्वपूर्ण मानवीय गुणों को कमजोर कर सकता है। यदि हम इन गुणों का उपयोग करना बंद कर देंगे, तो स्वाभाविक रूप से वे निष्क्रिय और क्षीण हो जाएंगे।
इस संदर्भ में, प्रसिद्ध दार्शनिक विट्गेन्स्टाइन के कथन का हवाला देते हुए लेखक स्वयं और समाज के प्रति जिम्मेदारी की बात करते हैं। उनका मानना है कि यदि AI के बढ़ते प्रभुत्व की समस्या है, तो इसका समाधान भी मनुष्य के पास ही निहित है, और वह समाधान है मानवीय संवेदना को विकसित करना।
इस संभावित खतरे से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:
* जागरूकता:

AI तकनीक का उपयोग करते समय हमें पूरी तरह से जागरूक रहना होगा।
* कम उपयोग की आदत:

AI का प्रयोग यथासंभव कम या केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करना चाहिए, ताकि हमारी सृजनशीलता और संवेदनशीलता बनी रहे।
* नियंत्रित उपयोग:

यदि AI का उपयोग करना भी पड़े, तो उसे नियंत्रित तरीके से और स्वामी बनकर करना चाहिए, न कि उसके अधीन होकर।
* वास्तविक बचत में रूपांतरण:

AI के उपयोग से बचने वाले समय का सदुपयोग मानवता और व्यक्तित्व के विकास जैसे वास्तविक कार्यों में करना चाहिए, न कि केवल सतही गतिविधियों में।
यह विश्लेषण AI के तेजी से बढ़ते प्रभाव को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करता है। लेखक का स्पष्ट मानना है कि यदि सावधानी नहीं बरती गई, तो मनुष्य मशीनों का गुलाम बन जाएगा और अपनी उन महत्वपूर्ण मानवीय विशेषताओं को खो देगा जो उसे अद्वितीय बनाती हैं। इसलिए, AI के प्रति जागरूक रहने, इसके उपयोग को सीमित करने और बचे हुए समय का सदुपयोग करने का आह्वान किया गया है ताकि हम AI के स्वामी बने रहें और अपनी मानवीयता को सुरक्षित रख सकें।