उत्तराखंड को संविधान की 5वीं अनुसूचि में शामिल किया जाए-हरीश रावत

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हरिद्वार:  पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत,जल,जंगल और जमीन को बचाने के लिए उत्तराखंड को संविधान की 5वीं अनूसूचि में शामिल किया जाना चाहिए। शुक्रवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने के साथ इसे संविधान की 5वीं अनूसूचि में शामिल कराने के लिए पहाड़ी आर्मी संगठन लगातार अभियान चला रहा है। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने 1931 में उत्तर प्रदेश के पर्वतीय जनपदों को ट्राइब स्टेटस दिया था। जिसे बाद में हटा दिया गया और उत्तराखंड बनने के बाद यह दर्जा बहाल नहीं हो सका है। संविधान की 5वीं अनुसूचि में शामिल किए जाने से उत्तराखंड के जल, जंगल और जमीन तो बचेगी ही बल्कि यहां के युवाओं को केंद्रीय शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में 7.5प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी मिलेगा। उत्तराखंड को संविधान 5वीं अनुसूची में शामिल किए जाने से यह पहाड़ के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करेगा। जिस तरह से उत्तराखंड के संसाधनों का दोहन हो रहा है,उस पर भी लगाम लगेगी। हरीश रावत ने बताया कि पहाड़ी आर्मी संगठन का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जा रहा है। हरिद्वार में संगठन का गठन करते हुए आदेश मारवाड़ी को जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया है। संरक्षक जेपी बड़ौनी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की अवधारणा के विपरीत राज्य बन गया है। राज्य के नेता और अधिकारी राज्य के संसाधनों को बर्बाद कर राज्य को कंगाल करने का काम कर रहे हैं। मूल निवास,भू-कानून इस पहाड़ी राज्य की आत्मा है। इसको लागू करवाना संगठन की प्राथमिकता है। पत्रकार वार्ता में जेपी बड़ौनी,पर्वतीय बंधु समाज हरिद्वार के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान,विनोद नेगी,कमलेश जेठी,प्रमोद नेगी,कपिल शाह,कपिल शर्मा जौनसारी आदि मौजूद रहे।
फोटो नं.2-पत्रकारों से वार्ता करते मोहित डिमरी
मजबूत भू कानून एवं मूल निवास की सीमा 1950 तय करने की मांग
10 नवम्बर को हरिद्वार में होगी स्वाभिमान महारैली-मोहित डिमरी
हरिद्वार। प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950एवं मजबूत भू कानून को लेकर मूल निवास समन्वय संघर्ष समिति द्वारा 10नवम्बर को आयोजित की जा रही रैली को कई संगठनों ने समर्थन देने का ऐलान किया है। शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि अनेकों बलिदान एवं संघर्षों के बाद उत्तराखण्ड राज्य अस्तित्व में आया। लेकिन राज्य के जल,जमीन,जंगलों पर बाहरी व्यक्तियों का कब्जा हो रहा है। राज्यवासियों को सरकारी गैर सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने ही राज्य में मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है। राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं पर भी खतरा मंडरा रहा है,आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। मोहित डिमरी ने कहा कि सीमित संसाधन वाले प्रदेश में बाहरी लोगों का आगमन होने के कारण भूमिधर अब भूमिहीन हो रहे हैं। कारखानों में मूल निवासियों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। मोहित डिमरी ने सशक्त भू-कानून एवं मूल निवासी की सीमा 1950लागू करने की मांग को लेकर 10नवम्बर को हरिद्वार में आयोजित की जा रही स्वाभिमान महारैली को सैनी सभा,व्यापार मंडल,संत समाज,राज्य आंदोलनकारी संगठन,किसान संघर्ष समिति,सिडकुल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सहित कई संगठनों ने समर्थन दिया है। प्रैसवार्ता के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,सम्राट सैनी,सेवाराम,पंडित कपिल जौनसार, महक सिंह,पदम सिंह रोड़,राजेंद्र पाराशर,व्यापारी नेता राजीव पराशर,संजीव नैय्यर आदि मौजूद रहे।