शरण में आए प्रत्येक भक्त की रक्षा करते हैं भगवान- भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
सात दिवसीय भागवत कथा प्रवचन
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में सर्वजन कल्याण के लिए बसंत बिहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा प्रवचन के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भक्त प्रह्लाद का चरित्र श्रवण कराते हुए बताया कि मनुष्य,देवता,दानव,पशु,पक्षी चराचर जगत में कोई भी भगवान की भक्ति करता है तो भगवान उसकी रक्षा करते हैं। भक्त प्रहलाद का चरित्र वर्णन करते हुए भागवताचार्य ने बताया कि भक्त प्रहलाद का जन्म राक्षस कुल में हुआ था। प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यपु भगवान नारायण से द्वेष रखता एवं जो भी भगवान नारायण का भजन करता था। हिरण्यकश्यपु उसका वध कर देता था। ऐसी स्थिति में मां के गर्भ में ही देव ऋषि नारद से भागवत कथा का श्रवण करके राक्षस कुल में जन्म लेने पर संस्कार वश प्रहलाद भगवान का अनन्य भक्त बनकर भगवान की भक्ति करता है। हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को मारने के लिए अनेकों प्रकार के उपाय किए। उसे जल में डुबाया,पहाड़ से गिराया,उबलती हुई तेल की कढ़ाई में डलवाया,अस्त्र शस्त्रों से मरवाने का प्रयास किया। यहां तक कि प्रहलाद की बुआ होलिका प्रहलाद को लेकर के अग्नि में चली गई। पर भगवान ने हर परिस्थिति में प्रहलाद की रक्षा की और स्वयं नरसिंह रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यपु को मार कर प्रहलाद की रक्षा की। शास्त्री ने बताया ठीक इसी प्रकार से पशु योनि में गजराज अपने परिवार के साथ सरोवर पर जल पीने के लिए जाता है। जल के भीतर रहने वाला ग्राह गजराज का पैर पकड़ लेता है। गजराज ने बहुत प्रयास किया ग्राह से छूटने का। परंतु जल के भीतर ग्राह का बल अधिक होने के कारण गजराज ग्राह से मुक्त नहीं हो पाया। गजराज ने भगवान नारायण का ध्यान किया, स्तुति की और भगवान ने गजराज की स्तुति को सुनकर के ग्राह का वध करके गजराज को ग्राह के बंधन से मुक्त कराया। भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया भगवान की शरण में जो भी जाता है। भगवान की भक्ति जो भी करता है भगवान उसकी रक्षा करते हैं। इसलिए इस कलिकाल में मुख्य रूप से भगवान की भक्ति ही जीव का कल्याण करती है। सभी को भगवान की भक्ति करनी चाहिए। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के द्वारा जन-जन में भक्ति का उदय होके लिए समय-समय पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया जाता है। श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस सभी भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर मुख्य यजमान रघुवीर कौर,राजवंश अंजू,लवी कौर, अंजू पांधी,शीतल अरोड़ा,सिंपी धवन,सागर धवन ,संजय,लता,मंजू गोयल,तिलक राज,श्रीमती शांति दर्गन,श्रीमती बीना धवन,प्रमोद पांधी,विजेंद्र गोयल,मीनू शर्मा,सुनीता आदि ने व्यास पूजन किया।
श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने गंगोत्री से आए पवित्र गंगाजल को पशुनाथ धाम रवाना किया
गंगा भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की पहचान है-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार। गंगोत्री से पवित्र गंगा जल कलश लेकर आए गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज बुधवार को नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के लिए रवाना हुए। गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश मंगलवार की देर शाम गंगोत्री से पवित्र गंगा जल कलश लेकर हरिद्वार पहुंचे थे। निरंजनी अखाड़े में रात्रि विश्राम के बाद बुधवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज,महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने चरण पादुका मंदिर परिसर स्थित मां मनसा देवी मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात जल कलश को नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के लिए रवाना किया। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि गंगा भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की पहचान है। उन्होंने कहा कि गंगोत्री धाम से लाए गए पवित्र गंगा जल से नेपाल स्थित पशुपति नाथ मंदिर में पूरे साल भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि पवित्र जल कलश यात्रा मुरादाबाद में रात्रि विश्राम के बाद लखनऊ,गोरखपुर स्थित गोरक्षनाथ मंदिर होते हुए पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचेगी। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी एवं साधुू बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास ने कहा कि सनातन धर्म महान परंपराओं को संजोए हुए है। सदियों से चली आ रही परंपरांओं का आज भी संत समाज द्वारा पालन किया जा रहा है। प्राचीन काल से ही नेपाल स्थित पशुपतिनाथ धाम में गंगोत्री के पवित्र जल से भगवान शिव का अभिषेक कर विश्व कल्याण की कामना की जाती है। गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश ने बताया कि गंगोत्री धाम से पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ के अभिषेक की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। बीच में किन्हीं कारणों से परंपरा बंद हो गयी थी। जिसे 15 साल पहले यात्रा फिर से शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से होते हुए जल कलश नेपाल पहुंचेगा। जहां पवित्र जल से पशुपतिनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया जाएगा। इस दौरान आचार्य महंत गौरीशंकर दास महाराज,श्रीमहंत केशव पुरी,श्रीमहंत शिववन,श्रीमहंत नरेश गिरि,श्रीमहंत सुखदेव पुरी,उप महंत राजगिरि,राकेश गिरि ,रघुवन,सतीश वन,आशुतोष पुरी, महंत रविपुरी, एसएमजेएन कॉलेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा,डा.विशाल गर्ग,मनसा देवी मंदिर के ट्रस्टी अनिल शर्मा,बिंदु गिरि,मनोज मंत्री,टीना टुटेजा ,सुंदर राठौर,प्रतीक सूरी,संदीप अग्रवाल,विनय कुमार आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे
दुखद: प्रसिद्ध कथाव्यास भागवत भूषण दीन दयालु जी महाराज ब्रह्मलीन
हरिद्वार। विश्व विख्यात कथाव्यास भागवत भूषण दीन दयालु जी महाराज का 91 वर्ष की आयु में आज प्रातः चार बजे पंचकुला में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके भक्तजन आज दोपहर हरिद्वार लेकर पहुंचे। मुखिया गली, भूपतवाला हरिद्वार स्थित उनके आश्रम श्री ललित आश्रम में स्वामी दीन दयालु जी महाराज के पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया है। जहां उनको श्रद्धाजंलि देने के लिए देशभर से उनके भक्तों, अनुयायी का सैलाब उमड़ पड़ा है। आश्रम के ट्रस्टी मनोहर लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दीन दयालु जी महाराज का अंतिम संस्कार कल दोपहर 12 बजे खड़खड़ी स्थित श्मशान घाट पर पूर्ण विधि-विधान से सम्पन्न किया जायेगा। जबलपुर (म.प्र.) में 1928 में पथरई गांव में पाण्डे परिवार में जन्मे दीन दयालु महाराज स्वामी करपात्री महाराज के परम शिष्य रहे। उन्होंने नर्वदा के किनारे जलहरि घाट पर रहकर साधना, तप किया। दीन दयालु महाराज श्रीविद्या के परम उपासक थे। उन्होंने धर्म, प्रचार व संस्कृति शिक्षा के उन्नयन हेतु हरिद्वार, वृन्दावन, काशी, हांसी, ऊना, जबलपुर में आश्रमों व संस्कृत विद्यालय की स्थापना की। 20 वर्ष की आयु से उन्होंने कथा व्यास के रूप में देश-विदेश में श्रीमद् भागवत, शिव पुराण, रामकथा, देवी भागवत, अष्टावक्र गीता, गीता प्रवचन, गणेश पुराण, सूर्य पुराण की 250 हजार से अधिक कथाओं का प्रवचन किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में निरन्तर 71 वर्षों तक कथाव्यास के रूप में कार्य किया। दीन दयालु महाराज ने कथा प्रचवन के साथ-साथ भागवत रहस्य,अष्टावक्र गीता,गीता रहस्य, राम गीता, दुख की जड़ काम और सुख की जड़ राम जैसी पुस्तकों भी लिखी। उनके निधन से देशभर में संत समाज व उनके लाखों अनुयायियों में शोक की लहर व्याप्त हो गयी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक,भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी, संस्था के ट्रस्टी मनोहर लाल,सतपाल शिंगला,योगेश कुमार बंसल,चन्द्रभूषण शुक्ला,दिनेश शर्मा,राघव ठाकुर समेत अनेक गणमान्यजनों ने दीन दयालु महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अवरिल घारा है श्रीमद् भागवत कथा- गौरीशंकर दास
हरिद्वार। श्रीमद् भागवत कथा पतित पावनी मां गंगा की भांति बहने वाली ज्ञान की अविरल धारा है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। उक्त उद्गार श्री बनखंडी साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने भूपतवाला स्थित साधु बेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से राजा परीक्षित को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और कलयुग में आज भी इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। सभी ग्रंथों का सार श्रीमद् भागवत कथा मोक्ष प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम ग्रंथ है। जो श्रद्धालु भक्त कथा का श्रवण कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कथा व्यास महंत बलराम मुनि महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भागवत कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। भगवान श्री कृष्ण को भी भागवत रूपी रास के दर्शन के लिए गोपी का रूप धारण करना पड़ा था। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है। परंतु भक्त दर्शन को नहीं आते। श्रीमद् भागवत कथा हर किसी के जीवन में बदलाव लाती है। हम सभी को श्रद्धा पूर्वक भक्त और भगवान की इस कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र वाणी ही श्रीमद् भागवत कथा है। इस अवसर पर गोपाल दत्त पुनेठा,विष्णु दत्त पुनेठा,सुनील कुमार,जीतू भाई, जगदीश भटीजा, विनोद छाबड़ा,मोहन छाबड़ा,गिरधर छाबड़ा,सुनील छाबड़ा,नरेश भाई,प्रमोद गुप्ता,राकेश गुप्ता सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।