आचार्य उद्धव मिश्रा के अनुसार, हिंदू धर्म में आमतौर पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं और उन्हें अर्घ्य देने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा, सूर्य देव और छठी माता को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी है और यह हमें प्रकृति और देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।
छठ पूजा का महत्व:
* सूर्य देव की पूजा: सूर्य को जीवनदाता माना जाता है।
* छठी माता की पूजा: छठी माता को संतान की देवी माना जाता है।
* प्रकृति का आभार: जल, सूर्य, चंद्रमा जैसे प्राकृतिक तत्वों की पूजा की जाती है।
* सभी वर्गों का एकजुट होना: यह पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है।
* कठिन व्रत: व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का कारण:
* जीवन चक्र का प्रतीक: सूर्य का ढलना जीवन के उस चरण को दर्शाता है जहां मेहनत का फल मिलता है।
* संतुलन और शक्ति: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
छठ पूजा का समय:
* तीसरे दिन: डूबते सूर्य को अर्घ्य
* चौथे दिन: उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण
पूर्वांचल में छठ पूजा:
पूर्वांचल उत्थान संस्था जैसे संगठनों ने हरिद्वार में छठ पूजा के लिए विशेष व्यवस्था की है। विभिन्न घाटों को साफ-सफाई के साथ तैयार किया गया है।
2024-11-07