उत्तराखंड में मूल निवासियों का आंदोलन: 10 नवंबर को हरिद्वार में स्वाभिमान रैली

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यह रैली उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसका राज्य की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है

हरिद्वार: उत्तराखंड में मूल निवासियों के अधिकारों और राज्य के संसाधनों पर बाहरी लोगों के बढ़ते दखल को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर मूल निवास समन्वय संघर्ष समिति 10 नवंबर को हरिद्वार में एक विशाल स्वाभिमान रैली आयोजित करने जा रही है।
समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड के जल, जमीन और जंगलों पर बाहरी लोगों का कब्जा लगातार बढ़ रहा है। राज्य के मूल निवासियों को रोजगार और अन्य सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान और आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी खतरे में है।
डिमरी ने मांग की है कि राज्य में एक मजबूत भू-कानून बनाया जाए और मूल निवासी की सीमा 1950 तक निर्धारित की जाए। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों वाले उत्तराखंड में बाहरी लोगों का आगमन राज्य के लोगों के लिए रोजगार के अवसरों को कम कर रहा है।
इस रैली को सैनी सभा, व्यापार मंडल, संत समाज, राज्य आंदोलनकारी संगठन, किसान संघर्ष समिति, सिडकुल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सहित कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया है।
मुख्य बिंदु:
* उत्तराखंड में मूल निवासियों के अधिकारों के लिए आंदोलन तेज
* 10 नवंबर को हरिद्वार में स्वाभिमान रैली
* मजबूत भू-कानून और 1950 की सीमा निर्धारित करने की मांग
* बाहरी लोगों के बढ़ते दखल से राज्य के संसाधन खतरे में
* राज्य के मूल निवासियों को रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं