स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पर्यावरण मित्रों को किया सम्मानित: ‘पर्यावरण की सेवा ही आज का धर्म’

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ऋषिकेश: स्वामी चिदानन्द सरस्वती के जन्मोत्सव से पूर्व परमार्थ निकेतन में स्वच्छता दूतों और पर्यावरण मित्रों का सम्मान व अभिनन्दन किया गया। स्वामी जी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और समाज को यह संदेश दिया कि मौन रहकर निरंतर सेवा करने वालों को पहचानना और उनका आभार व्यक्त करना हमारा धार्मिक और नैतिक कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि हमारा जीवन, समाज की स्वच्छता और स्वास्थ्य इन पर्यावरण मित्रों के अतुलनीय योगदान से ही संभव है। ये हमारे स्वच्छतादूत हैं और इनका सम्मान करना धर्म, सेवा और सच्ची पूजा है। स्वामी जी ने इस बात पर जोर दिया कि आंतरिक पर्यावरण के लिए कथाएं हैं, लेकिन बाहरी पर्यावरण की शुद्धता के लिए हमारे स्वच्छ कर्म आवश्यक हैं। उन्होंने स्वच्छता कर्मियों को “पर्यावरण रक्षक” और “धरा के स्वच्छता दूत” बताते हुए आह्वान किया कि हर सेवा कर्मी को गरिमा, सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए।
3 जून को स्वामी जी का जन्मोत्सव ‘पर्यावरण को समर्पित एक प्रेरणा पर्व’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पौधारोपण, स्वच्छता अभियान और नदी सफाई जैसे कार्य होते हैं। जन्मोत्सव से एक दिन पूर्व ‘सेवा का सम्मान’ नामक यह कार्यक्रम उन असंख्य सेवकों को समर्पित था जो चुपचाप समाज को सुंदर, स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखते हैं। स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करने वाले सच्चे स्वच्छता योद्धा हैं और हमारी सच्ची पूजा वही है जो किसी के जीवन को संवार दे। इस अवसर पर उपजिलाधिकारी यमकेश्वर अनिल चन्याल सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।