धर्म-कर्म: हरिद्वार की खबरें, यहां देखे

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पहले सोमवार पर श्रद्वालुओं ने किया विभिन्न शिवालयों शिवलिंग का जलाभिषेक

हरिद्वार। श्रावण के पहले सोमवार को बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्वालुओं सहित देश के विभिन्न राज्यों से कांवड़ लेने आए कांवड़ियों ने विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की और जनकल्याण की कामना की। सोमवार को तड़के से ही एतिहासिक दक्ष प्रजापति मंदिर,कनखल, हरिद्वार के बिल्केश्वर महादेव मंदिर,नीलेश्वर महादेव,द्ररिद भंजन महादेव मंदिर सहित विभिन्न पौराणिक शिवालयों में औघड़दानी सदाशिव का जलाभिषेक किया और सुख समृद्धि की कामना की। पौराणिक मंदिरों के अलावा अन्य शिवालयों में भी भक्तों ने जलाभिषेक किया। कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर,बिल्केश्वर महादेव मंदिर और नीलेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए भक्तों की सवेरे से ही लंबी कतारें लगी रही। जलाभिषेक को संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन की और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सभी मंदिरों पर पुलिस बल की तैनाती के साथ जलाभिषेक करने में महिलाओं की अधिक संख्या को देखते हुए महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की गयी थी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पूरे दिन मंदिरों का भ्रमण कर सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लेते रहे।

श्रीमद् भागवत कथा से होता है भक्ति एवं ज्ञान का विस्तार-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में शिव विहार कालोनी ज्वालापुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि देव शयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास में भक्त भगवान नारायण की आराधना उपासना करते हैं और नारायण की प्रसन्नता के लिए भक्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से जन-जन में भक्ति का प्रचार प्रसार एवं ज्ञान का विस्तार होता है। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम राजा परीक्षित ने सुखदेव मुनि के मुखारविंद से शुक्रताल में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया और परमात्मा को प्राप्त किया। कथा के प्रभाव से धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली। इसी प्रकार से भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य वृंदावन में दुखी थे। हरिद्वार में देव ऋषि नारद द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया गया जिससे भक्ति ज्ञान वैराग्य का दुख दूर हो गया और भक्तों के हृदय में भक्ति ज्ञान वैराग्य का निवास स्थान बन गया। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा जीते जी तो मनुष्य का कल्याण करती ही है। यदि मृतक आत्मा के निमित्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया जाए तो मृतक आत्मा भी मोक्ष को प्राप्त हो जाती हैं। इस अवसर पर दीपक गुप्ता,मीनाक्षी बंसल,पंडित जगन्नाथ प्रसाद,पार्वती देवी,अनूप तिवारी, वीना गुप्ता,शांति दर्गन,पंडित गणेश कोठारी,राजेंद्र राघव,अमित नामदेव,मीनू शर्मा,रेखा आर्य आदि ने भागवत पूजन किया किया और भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया।

शिव आराधना से दूर हो जाते हैं बड़े से बड़े संकट-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

हरिद्वार। अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव को मृत्यंुजय कहा गया है। जिनकी साधना से बड़े से बड़े संकट आसानी से दूर हो जाते हैं। शिव कृपा से साधक को आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। निंरजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका मंदिर में आयोजित पूरे सावन चलने वाली विशेष शिव आराधना के दौरान पहले सोमवार को भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव को श्रावण माह अत्यन्त प्रिय है और सावन में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। सावन में प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख समृद्धि, धन और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को आशुतोष भी कहा गया है। भगवान शिव की आराधना के लिए कुछ अधिक की आवश्यकता नहीं होती है। शिव तो भक्ति भाव और जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले देव हैं। इसलिए प्रत्येक भक्त को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। इस दौरान दुबई से आए कला बेन,प्रवीण भाई रनपारा,विशाल रनपारा,हर्षा रनपारा,पुष्प रनपारा,नमृता,निखिलेश सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

जलाभिषेक करने से प्राप्त होती है शिव और शक्ति की कृपा-आचार्य म0म0 स्वामी कैलाशानंद गिरी

हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। सोमवार के दिन शिव को अर्घ्य देने मात्र से ही वे प्रसन्न होकर अपने भक्त के सभी संकट हर लेते हैं। सावन के पहले सोमवार को श्री दक्षिण काली मंदिर में भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन में प्रत्येक सोमवार को ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और साथ ही माता पार्वती का भी ध्यान करें। ऐसा करने से भक्त को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। जिससे असाध्य रोगों, दरिद्रता आदि से छुटकारा मिलता है। जीवन प्रगति और अग्रसर होता है। प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि श्री दक्षिण काली मंदिर में पूजा अर्चना और दर्शनों के लिए आने वाले भक्तों को मां भगवती के साथ भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। जिससे उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि लोक कल्याण के लिए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज दो अगस्त से विशेष अनुष्ठान आरंभ करेंगे। जिसमें प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के पुष्पों से शिवलिंग का श्रंग्रार कर पंचामृत आदि द्रव्यों से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा।

शुभ फल प्रदान करती है शिव आराधना -महंत प्रेमदास

हरिद्वार। नीलेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि सावन भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। श्रावण में शिव आराधना का अपना अलग महत्व है। सावन में विधि विधान से शिव आराधना करने से भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है। सावन के पहले सोमवार को मंदिर में जलाभिषेक करने आए भक्तों और कांवड़ियों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि पुराणों के अनुसार सावन भोलेनाथ भगवान शंकर की पूजा, अभिषेक, स्तुति और मंत्र जाप का खास महत्व है। महादेव शिव की आराधना से शिव और शक्ति दोनो प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन में भगवान शिव के रूद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है। सावन में की गयी शिव आराधना साधक को अमोघ फल प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सावन में भगवान विष्णु के चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाने के पश्चात शिव ही सृष्टि का संचालन और पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा जल में दूध मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। दूध सकारात्मक ऊर्जा का सबसे अच्छा संवाहक है। जब शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिसके प्रभाव से भक्त के जीवन में छायी नकारात्मकता दूर होती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन के पहले सोमवार पर नीलेश्वर महादेव का फूलों से विशेष श्रंगार किया गया था।