जिला उपभोक्ता आयोग ने हरिद्वार- रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सचिव को उपभोक्ता सेवा में कमी करने का दोषी पाया है। आयोग ने दोनों अधिकारियों को 63 हजार रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से, शिकायत खर्च पांच हजार और अधिवक्ता फीस के रूप में पांच हजार रुपये शिकायतकर्ता को देने के आदेश दिए हैं। बिलकेश्वर कॉलोनी हरिद्वार निवासी शिकायतकर्ता डॉ. विजय शर्मा पुत्र जेपी शर्मा ने एक शिकायत उपाध्यक्ष और सचिव हरिद्वार विकास प्राधिकरण के खिलाफ दायर की थी। बताया था कि उसने वर्ष 1999 में मकान बनाने के लिए प्राधिकरण में मानचित्र स्वीकार कराने के दाखिल किया था। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 90 दिन की अवधि में नहीं मिलने पर मानचित्र स्वीकार करना माना जाएगा। जिस पर शिकायतकर्ता ने मकान का निर्माण कर लिया था। इसके बाद प्राधिकरण ने उसके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करनी चाहीं। उक्त कार्यवाही के खिलाफ शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त देहरादून में शिकायत की। जहां लोकायुक्त ने मानचित्र को वैध ठहराते हुए जुर्माने पर निस्तारण के निर्देश दिए थे। प्राधिकरण ने उसे एक सप्ताह में 75 हजार 822 रुपये बतौर जुर्माना राशि जमा करने के लिए कहा। शिकायतकर्ता के उक्त राशि को एक सप्ताह में जमा कराने की असमर्थता जताने पर प्राधिकरण ने उसे किश्तों में जमा करने की मंजूरी दी थी। साथ ही, शिकायतकर्ता की आपत्ति पर सर्किल रेट पर विचार कर उक्त राशि को कम करने का आश्वासन दिया था। जिस पर प्राधिकरण ने वर्ष 2008 से वर्ष 2013 तक की राशि जमा करा ली गई थी। यही नहीं, प्राधिकरण ने वर्ष 1999 में सर्किल रेट के मसले पर कोई कार्यवाही न करते हुए वर्ष 2006 के ही सर्किल रेट के आधार पर माना है। प्राधिकरण ने जुर्माना राशि देर से जमा कराने पर 63 हजार 314 रुपये और जमा करने के निर्देश जारी कर दिए हैं, जोकि गलत है। शिकायतकर्ता ने प्राधिकरण के अधिकारियों से कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन उक्त अधिकारी उसे निर्माण को ध्वस्तीकरण करने की धमकी दे रहे है।
2021-06-24