परमार्थ विजय पब्लिक स्कूल : दृष्टिबाधित छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा में लहराया परचम

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देहरादून/उत्तरकाशी: उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सच्ची लगन और अटूट हौसले के आगे कोई भी मुश्किल टिक नहीं सकती। इस वर्ष की परीक्षा में शत प्रतिशत दृष्टिबाधित छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सफलता का परचम लहराया है। विशेष रूप से, उत्तरकाशी की दो मेधावी छात्राओं, प्रियांशी और रक्षा ने अपनी शानदार सफलता से न केवल अपने परिवार और शिक्षकों को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
प्रियांशी ने परीक्षा में 75% अंक प्राप्त किए हैं, जबकि रक्षा ने 61% अंकों के साथ सफलता हासिल की है। इन छात्राओं ने अपनी मेहनत, समर्पण और सकारात्मक दृष्टिकोण से यह सिद्ध कर दिया है कि शारीरिक अक्षमता कभी भी सफलता के मार्ग में बाधा नहीं बन सकती है।
यह उल्लेखनीय है कि प्रियांशी और रक्षा दोनों ही पहले परमार्थ विजय पब्लिक स्कूल की छात्राएं थीं और वर्तमान में राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मुराडी में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उनकी इस सफलता के पीछे उनके शिक्षकों, परिवार और विशेष रूप से समाजसेविका श्रीमती विजय लक्ष्मी जोशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
श्रीमती विजय लक्ष्मी जोशी ने वर्ष 2007 में परमार्थ विजय पब्लिक स्कूल की स्थापना की थी। उनका उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना और उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना था। उनकी इस पहल ने न केवल प्रियांशी और रक्षा जैसी अनेक छात्राओं के जीवन को नई दिशा दी है, बल्कि कई अन्य दिव्यांग आज सरकारी सेवाओं में कार्यरत होकर आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं।
प्रियांशी और रक्षा की यह सफलता समर्पण, संघर्ष और उचित मार्गदर्शन का एक बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि यदि सही अवसर और आवश्यक सहायता प्रदान की जाए तो हर बच्चा विशेष होता है और सफलता की ऊँचाइयों को छू सकता है। उनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। इन बेटियों ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया है कि हौसलों की उड़ान हमेशा ऊंची होती है और दृढ़ संकल्प के आगे हर बाधा बौनी साबित होती है।