प्राचीन भारतीय ज्ञान हमारी संस्कृति और विरासत का एक हिस्सा- पुष्कर सिंह धामी

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हरिद्वार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पतंजलि विश्वविद्यालय में 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के समापन समारोह में भाग लिया। उन्होंने देश भर से आए विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों का स्वागत किया और भारतीय संस्कृति और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन की सराहना की।

मुख्यमंत्री के मुख्य बिंदु:

* प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा का महत्व: मुख्यमंत्री धामी ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह हमारी संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

* युवा पीढ़ी को प्रेरित करना: उन्होंने युवा पीढ़ी को वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया।

* भारतीय ज्ञान को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना: उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।
* राज्य सरकार के प्रयास: उन्होंने राज्य सरकार द्वारा प्राचीन संस्कृति और ज्ञान को संरक्षित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
* पतंजलि विश्वविद्यालय की सराहना: उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा प्राचीन भारतीय ज्ञान को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।

अन्य वक्ताओं के विचार:

* कुलपति केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक, कुलपति पतंजलि विश्वविद्यालय आचार्य बालकृष्ण, योग गुरू बाबा रामदेव ने भी अपने-अपने विचार रखे।

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:

* इस अवसर पर विधायक प्रदीप बत्रा, आदेश चौहान, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, महापौर अनीता अग्रवाल, जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोबाल, ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा, एचआरडीए सचिव मनीष कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, पूर्व कैबीनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, विद्यार्थी, शोधार्थी और देश के कोने-कोने से पधारे विद्वान आदि उपस्थित थे।
इस शास्त्रोत्सव ने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक रूप में जीवंत रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया।